नई दिल्ली। Banned Car Modification: कई लोगों लाइफ में कार को खरीदने करने का सपना होता है। और जब का खरीद लेते है तब लोग अक्सर अपने कार में बदलाव करते हैं जिन्हें मॉडिफिकेशन कहा जाता है। लेकिन कई बार लोग बिना जानकारी हासिल कर कुछे ऐसे मॉडिफिकेशन भी कार में करवा लेते हैं जिसके बाद उन्हें पछताना पड़ता है। कारों के मॉडिफिकेशन से जुड़े हुए कुछ नियम हैं जिनका पालन करना जरूरी है. अगर किसी ने इनका उल्लंघन किया तो उसे चालान भरना पड़ेगा।हम आपको बता रहे हैं उन मॉडिफिकेशन के बारे में जो भारतीय कारों में कराना गैरकानूनी है।
टिंटेड ग्लास
कार में टिंटेड ग्लास लगाने को लेकर कुछ नियम हैं जिनका पालन करना होता है।
इस ग्लास की विजिबिलिटी 50 फीसदी होने ही चाहिए।
इससे कम विजिबिलिटी होने पर आपका चालान हो सकता है।
1988 के केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम (CMVA) के नियम 100 के अनुसार, भारत में सभी कारों की विंडस्क्रीन और पिछली खिड़कियों के शीशे की मिनिमम विजिबिलिटी 70% होनी चाहिए. जबकि, कारों की साइड-खिड़कियों के शीशे के लिए न्यूनतम 50% विजिबिलिटी अनिवार्य है।
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हाई डेसीबल हॉर्न
कार में लाउड हॉर्न का इस्तेमाल गैरकानूनी है।
अगर आप इसे लगाते हैं तो आपको चालान भरना पड़ सकता है।
भारत सरकार ने देश में चलने वाली कारों के हॉर्न के लिए दिशा-निर्देशों निर्धारित किए हैं।
इनके अनुसार सामान्य कारों या चार पहिया वाहनों के लिए 100 डेसिबल से अधिक के हॉर्न की अनुमति नहीं है।
मॉडिफाई साइलेंसर
कार में लाउड मॉडिफाई साइलेंसर कभी नहीं लगवाना चाहिए। ऐसा करने से आपका चालान कट सकते है।
कारों में कंपनी-फिटेड एग्जॉस्ट पाइप में कैटेलिटिक कन्वर्टर्स होते हैं और इसलिए, वे न केवल हवा में निकलने वाले उत्सर्जन की मात्रा को नियंत्रित करते हैं बल्कि इसकी आवाज भी कम रखते हैं। लाउड एग्जॉस्ट लगाने से बचना चाहिए।
आफ्टर मार्केट रजिस्ट्रेशन प्लेट
भारत सरकार ने देश में चल रहे सभी वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट अनिवार्य कर दी है।
आप अपनी कार में फैंसी रजिस्ट्रेशन प्लेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको चालान भरना पड़ सकता है।