भारतीय वैज्ञानिक को मिल गया कैंसर का इलाज, रेट जान कर आप भी चौंक जाएंगे

By

Health Desk

Cancer Therapy: भारतीय डॉक्टरों द्वारा किए गए सफल प्रयासों ने कैंसर के खिलाफ नई उम्मीद की राह दिखाई है। देश में पहली बार एक मरीज को भारतीय थेरेपी से कैंसर मुक्त करने की खबर से देशवासियों में बड़ी आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ है। इस महत्वपूर्ण कदम की पीछे सीएआर-टी सेल थेरेपी का योगदान है, जो नए इलाज की दिशा में एक नया मील का पत्थर है।

सीएआर-टी सेल थेरेपी ने कैंसर के खिलाफ संघर्ष को एक नए स्तर पर ले जाने में सहायक होती है। इस नई तकनीक का उपयोग करके डॉक्टरों ने संदिग्ध रूप से बीमार को पूरी तरह स्वस्थ करने का कारगर तरीका निकाला है। इस सफलता से संबंधित अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्तर पर भी पहल की जा रही है। इस नए उपाय से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के खिलाफ नई उम्मीदें बढ़ रही हैं और इससे मरीजों के लिए स्वस्थ जीवन की संभावना में सुधार हो रहा है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IITB), IIT-B, और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के साथ मिलकर विकसित NexCAR19 और ImmunoACT थेरेपी ने कैंसर के इलाज में नए दरवाजे खोले हैं। ये थेरेपी बी-सेल कैंसर, जैसे कि ल्यूकेमिया और लिम्फोमा के खिलाफ समर्थित हैं और सीडीएससीओ द्वारा इनके कॉमर्शियल इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। इस समय, यह थेरेपी भारत के 10 शहरों के 30 हास्पिटलों में उपलब्ध है, जो कैंसर से पीड़ित मरीजों को 15 साल से अधिक की आयु वर्ग के लिए उपचार करने का एक सुधार कर रहा है।

इस नए उपाय ने देशवासियों को समर्पित चिकित्सकों के माध्यम से कैंसर से बचाव और इलाज की संभावनाओं को बढ़ाया है। सीडीएससीओ द्वारा मंजूर किए जाने के बाद, इस थेरेपी ने कई रोगियों को जीवन की नई राह प्रदान की है, जैसे कि दिल्ली स्थित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट कर्नल डॉ. वीके गुप्ता। डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस थेरेपी के लिए भुगतान करके वे केवल 42 लाख रुपये खर्च कर रहे हैं, जबकि विदेशों में इसी कीमत की थेरेपी का खर्च 4 करोड़ रुपये से अधिक है। इस से साफ होता है कि भारतीय तकनीक और चिकित्सा जगत ने विश्वस्तरीय इलाज की संभावनाओं में बड़ा बदलाव किया है और ये नए थेरेपी उपाय कैंसर से जूझ रहे लोगों के लिए की हर कोई नहीं केवल आर्थिक रूप से सही है, बल्कि उन्हें नई जीवन की राह प्रदान कर रहा है।

ब्लड कैंसर इलाज की विधि

ब्लड कैंसर, जैसे कि लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया और बी-सेल लिंफोमा, का इलाज में काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (CAR-T) सेल थेरेपी एक महत्वपूर्ण योजना है। इस तकनीक का उपयोग करके रोगी के अपने सेल्स से ही उन्हें संशोधित करना और उन्हें कैंसर से लड़ने की शक्ति प्रदान की जाती है। यह थेरेपी लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया और बी-सेल लिंफोमा जैसे गंभीर ब्लड कैंसर के इलाज में उपयोग किया जा सकता है।

CAR-T सेल थेरेपी में रोगी के अपने व्हाइट ब्लड सेल्स, खासकर टी सेल्स, को मौजूद ब्लड कैंसर से लड़ने की क्षमता प्रदान करने के लिए संशोधित किया जाता है। इसके बाद ये संशोधित सेल्स रोगी के शरीर में पुनर्निर्मित किए जाते हैं, जिससे उन्हें कैंसर के खिलाफ लड़ने में सहायता मिलती है। यह प्रक्रिया एक बार होती है और इसे सीआर-टी सेल थेरेपी कहा जाता है।

इस थेरेपी ने उन मरीजों की भी मदद की है जिनके लिए पहले के इलाज असफल रहे थे। इससे यह साबित हो रहा है कि CAR-T सेल थेरेपी ब्लड कैंसर के खिलाफ एक प्रभावी और सुरक्षित उपाय हो सकता है, जिससे रोगियों को नए आशाएं मिल रही हैं।

भारत में सबसे सस्ती इलाज

अपोलो समूह के अस्पतालों ने भारत में सीएआर-टी सेल थेरेपी को सफलता से लागू किया है, जिससे अब तक 16 मरीजों को इस नई तकनीक से फायदा हुआ है। यह थेरेपी, जिसका विकास 2014 में आईआईटी मुंबई ने किया था, भारत में कैंसर के इलाज के लिए एक मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है। हालांकि, इस तकनीक की कीमत आम लोगों के लिए आईनी है, लेकिन यह एक बड़ी कदम है जो भारत में चिकित्सा विज्ञान में हुए प्रगति को दर्शाता है। थेरेपी के बाद मरीजों को सप्ताहों तक भर्ती रखना एक आवश्यक प्रक्रिया है, जो उनके स्वास्थ्य की मदद करने में मदद करती है और सुनिश्चित करती है कि उनका इलाज सही तरीके से प्रगट रहे।

क्या होता है सीएआर-टी सेल थेरेपी

सीएआर-टी सेल थेरेपी को आमतौर पर ‘लिविंग ड्रग्स’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसमें रोगी की टी-कोशिकाओं को निकालने और संशोधित करने की प्रक्रिया शामिल है। एफेरेसिस नामक तकनीक के माध्यम से, जिसमें रोगी की टी-कोशिकाएं प्राप्त होती हैं, इन को निकाला जाता है। इन टी-कोशिकाओं को फिर एक सुरक्षित वाहन, जिसे वायरल वेक्टर कहा जाता है, के माध्यम से आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद, इन टी-कोशिकाओं को अपनी सतह पर संशोधित कनेक्टर्स को अभिव्यक्त करने की क्षमता प्राप्त होती है, जिसे काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स (सीएआर) कहा जाता है। यह प्रक्रिया एक नियंत्रित प्रयोगशाला में की जाती है ताकि सुरक्षितता सुनिश्चित की जा सके। इस उद्यान का उपयोग कैंसर के खिलाफ इलाज के लिए नवीन और सुरक्षित दृष्टिकोण को बढ़ाने में किया जाता है।

Health Desk के बारे में
For Feedback - timesbull@gmail.com
Share.
Install App