नई दिल्ली EPFO NEW UPDATE: काफी सारी कंपनियों में काम कर रही महिला कर्मचारियों को इन दिनों ईपीएफओ की ओर से टेक्स्ट मैजेस सेंड किया जा रहा है। इनमें उनसे जानने का प्रयास किया जा रहा है कि क्या कंपनी की तरफ से उनको एक समान काम की सैलरी दी जा रही है।
EPFO के साथ इस सर्वेक्षण में मजदूरी और रोजगार मंत्रालय के साथ में ही महिला और बाल विकास मंत्रालय भी शामिल है। इस सर्वे के द्वारा काफी सारी कंपनियों के वर्कफोर्स में महिला कर्मचारयों की हिस्सेदारी भी जानी जाएगी। इसके आधार पर कंपनियों का आंकलन किया जाएगा।
नियोक्ता रेटिंग सर्वेस में पूछे जा रहे हैं काफी सारे सवाल
इस नियोक्ता रेटिंग सर्वे में काफी सारे सवाल पूछे गए हैं। इसमें महिला कर्मचारियों को हां और ना और नॉट एप्लीकेशन जैसे ऑप्शन चुनने हैं। इसमें महिलाओं से पूछा जा रहा है कि आपकी कंपनी में यौन उत्पीड़ने के खिलाफ कंप्लेन के लिए क्या सुविधा दी गई है। बच्चों के लिए क्रेच हैं या फिर नहीं। समान काम की समान सैलरी मिल रही है या फिर नहीं और रात में काम के बाद घर भेजने की क्या सुविधा है।
EPFO ने 30 करोड़ सब्सक्राइबर्स को भेजा सवाल
जानकारी के आधार पर EPFO ने अपने 30 करोड़ सब्सक्राइबर्स को भेजी है। लेबर मिनिस्ट्री के मुताबिक, साल 2022 से 2023 तक EPFO में 28 लाख महिलाएं थी। ये अब तक सबसे बड़ा आंकड़ा था। EPFO तक रिटायरमेंट फंड हैं,
जिसके आंकड़ें देश में रेगुलर रोजागर की स्थिति बताते हैं। बीते हफ्ते महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस एम्लॉयर रेटिंग सर्वेक्षण की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि ये सक्षम नारी सशक्त भारत वूमेन इन द वर्कफोर्स फॉर विकसित भारत का हिस्सा है।
महिलाओं को नहीं मिल रहा रोजगार
रोजगार में महिलाओं को स्थिति के मामलें में भारत निचले पायदान के देशों में शामिल है। सरकार का लेबर फोर्स सर्वे बताता है कि 2022 से 2023 में रोजगार में महिलाओं की संख्या का आंकड़ा 27.8 फीसदी पर गया था।
यहीं आंकड़ा साल 2017 से 1018 में 17.5 फीसदी था। इसमें महिलाओं को अधिकतर रोजगार हेप्पर्स के हैं। इनमें रेगुलर सैलरी नहीं मिलती है। अच्छे रोजगदारों में महिलाओं की स्थिति अभी भी ठीक नहीं है।