नई दिल्ली: ऐसे कई लोग हैं जो नियमित रुप से आईटीआर भरते हैं। इस फाइनेंसियल साल की आईटीआर करने की डेट आने वाली है। ऐसे में लोग अपने कमाई को कुछ ऐसी सेविंस स्कीम में डालना चाहते हैं, जिससे टैक्स में छूट मिले और सेविंग जर्नी को बढ़ाया जाए। हम आपको इस खबर में शानदार रिटर्न देने वाले कुछ निवेश के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। ऐसे ही 3 निवेश विकल्प हैं, इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS), पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) है। यहां पर आप की अच्छी सेविंग्स स्कीम की खोज पूरी होने वाली है।
दरअसल आप को बता दें कि मार्केट में एक से बढ़कर एक स्कीम संचालित हो रही है, जिससे इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS), पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) भी है। अक्सर लोग निवेश का प्लान करते रहते हैं, जिससे यहां पर इन बताई गई स्कीम में पैसा को लगा सकते हैं। सबसे अच्छी बात ये हैं कि यहां पर टैक्स छूट में भी लाभ मिलता है।
देखें ईएलएसएस, पीपीएफ, यूलिप में कौन खास है स्कीम
ईएलएसएस, पीपीएफ और यूलिप तीनों निवेश विकल्प में आयकर की धारा 80 सी के तहत निवेशकों को अच्छा रिटर्न देने के साथ-साथ सालाना 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स छूट लाभ मिलता है।
ईएलएसएस, पीपीएफ और यूलिप में ये सबसे बड़ी खासियतें
यूलिप और पीपीएफ के कंपेयर में ईएलएसएस केवल 3 साल की सबसे कम लॉक-इन अवधि देता है। वहीं, यूलिप और पीपीएफ में क्रमशः 5 साल और 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है।
वही आप को बता दें कि ईएलएसएस कम लागत और पेशेवर मेनेजमेंट का लाभ देता है। सेबी से व्यय अनुपात पर सीमा निर्धारित है, लेकिन यूलिप के लिए ऐसी कोई सीमा नहीं है। यूलिप स्कीम के शुल्क म्युचुअल फंड की कंपेयर में बहुत अधिक हो सकते हैं। पीपीएफ के लिए, निवेशक को अपनी निवेश राशि के अलावा सिर्फ 100 रुपये का एक बार शुल्क देना होता है।
इसके साभ ही यूलिप में इंश्योरेंस प्लान जुड़े होते हैं जो पॉलिसी की अवधि के भीतर पॉलिसीधारक की मृत्यु होने की स्थिति में परिवार को सुनिश्चित राशि प्रदान करता है। वही म्यूचुअल फंड और पीपीएफ के मामले में बीमा के माध्यम से कोई जोखिम कवर नहीं होता है।
अगर आप पीपीएफ का पैसा मैच्योरिटी पर निकालते है तो इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जबकि ईएलएसएस लाभ के मामले में लॉक-इन अवधि के बाद 1 लाख रुपये की छूट के साथ 10 फीसदी टैक्स लगाया जाता है। यूलिप के मामले में, मैच्योरिटी राशि केवल तभी टैक्स फ्री रहती है, जब तक कुल सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष तक हो और अगर, सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक हो जाता है, तो किसी को किसी भी इंनकम पर कैपिटल गेन टैक्स देना होता है।
पीपीएफ पर रिटर्न निश्चित, गारंटीकृत और टैक्स फ्री होता है, जबकि ईएलएसएस और यूलिप रिटर्न के मामले में गारंटी नहीं है क्योंकि दोनों निवेश विकल्प बाजार से जुड़े हैं। जो मार्केट पर निर्भर करता है, तो वही पीपीएफ में मौजूदा ब्याज दर 7.1 प्रतिशत सालाना है। ईएलएसएस पर 3 साल और 5 साल का औसत रिटर्न क्रमश: 17.19 प्रतिशत और 11.10 प्रतिशत है।