Horoscope : कुंडली क्या है और इसके किस भाव से क्या पता चलता है, जानें

By

Santy

भारतीय परिवेश में जन्मे व्यक्ति की जन्मतिथि एवं समय के वक्त आकाशीय गणना में ग्रहों की स्थिति एवं चाल के अनुसार जिस चार्ट को तैयार किया जाता है उसे ही कुंडली (Horoscope) कहा जाता है। कुंडली से व्यक्ति के भूत, वर्तमान एवं भविष्य की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। व्यक्ति के व्यक्तित्व से लेकर उसके कर्म एवं वैवाहिक जीवन की व्याख्या भी कुंडली द्वारा की जा सकती है। कुंडली मानव जीवन को समझने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उदित राशि से होती है भाव की गणना
घरों या भावों की बात की जाए तो कुंडली मे कुल 12 भाव या घर होते हैं। जिसमें से पहला भाव लग्न भाव कहलाता है और फिर अन्य ग्यारह भाव क्रमबद्ध रहता है। व्यक्ति के जन्म के समय जो राशि उदित होती है, उसे ही लग्न राशि या प्रथम भाव माना जाता है।

किस भाव से क्या पता चलता है और उसका स्वामी ग्रह कौन सा है

First house of horoscope : लग्न भाव या प्रथम भाव (Ascendent) से जातक के व्यक्तित्व, कद – काठी, योग्यता, रोग – आरोग्य, उम्र, तेज इत्यादि के बारे में जाना जा सकता है। प्रथम भाव का स्वामी ग्रह मंगल होता है।

Second house of horoscope : वहीं द्वितीय भाव को धन का भाव भी कहा जाता है। इसके जरिये व्यक्ति के धन संचय, विद्या, वाक्पटुता, कुटुंब, संपत्ति, बहुमूल्य चीजों का संग्रह एवं व्यक्ति के अंदर कितनी नम्रता है, इसके बारे में पता लगा सकते हैं। इस भाव का स्वामी ग्रह शुक्र है।

Third house of horoscope : भातृ भाव तीसरे भाव के रूप में जाना जाने वाला भाव है, जिसे पराक्रम भाव भी कहा जाता है। इस भाव के अंतर्गत व्यक्ति के भाई बहन, पड़ोसी, साहस एवं सामर्थ्य के बारे में जानकारी मिलती है। बुध को तीसरे घर का स्वामी ग्रह कहा जाता है।

Fourth house of horoscope : कुंडली के चौथे भाव को सुख भाव भी कहा जाता है। जिसमें व्यक्ति के माता, वैवाहिक जीवन में कानूनी मामले, घर निर्माण, गाड़ी, हृदय इत्यादि विषयों को जान सकते हैं। चौथे भाव का स्वामी चंद्र ग्रह हैं।

Fifth house of horoscope : पांचवां भाव संतान का भाव होता है, इसलिए इसे सुत भाव भी कहा जाता है। इसके द्वारा पुत्र – पुत्री, विवेक, स्मरण शक्ति, मानसिकता, प्रतिष्ठा इत्यादि को जानने में सहयोग मिलता है। इस भाव में स्वामी ग्रह सूर्य हैं।

Sixth house of horoscope : छठा भाव शत्रु का भाव होता है। जीत – हार, मामा, बीमारी, नकारात्मक साया, नीच कर्म आदि को इस भाव के द्वारा जाना जाता है। बुध छठे भाव का भी स्वामी ग्रह होता है।

Seventh house of horoscope : सातवां भाव अर्धांगनी का घर होता है इसलिए इसे जाया भाव भी कहते हैं। इससे पति एवं पत्नी, वासना, वैवाहिक संबंध, व्यापार की साझेदारी, भोग विलास, दुराचार आदि का पता लगाया जा सकता है। इस भाव का स्वामी भी शुक्र हैं।

Eighth house of horoscope : आठवां भाव काल भाव अर्थात मृत्यु का भाव कहलाता है। जिसमें व्यक्ति की आयु, मृत्यु का कारण, आर्थिक नुकसान, दुःख तकलीफ, मानसिक तनाव, गुप्त रोग, इत्यादि को जान सकते हैं। इस घर का स्वामी मंगल ग्रह हैं।

Ninth house of horoscope : नौवां भाव भाग्य का घर होता है। इसके द्वारा पिछले जन्म के पुण्य पाप, वैराग्य, पिता, गुरु, यश, धर्म आस्था आदि को समझा जा सकता है। भाग्य भाव का स्वामी गुरु होते हैं।

Tenth house of horoscope : दसवां भाव व्यक्ति के कर्म को दर्शाने वाला भाव होता है, इसलिए इसे कर्म भाव कहते हैं। इसमें व्यक्ति के व्यापार, नौकरी, आजीविका का साधन, राज सम्मान, पितृ धन, पदाधिकार सुख का ज्ञान मिलता है। यह कर्म का भाव है और कर्म प्रधान शनि को माना गया है, इसलिए इस घर का स्वामी शनि होते हैं।

Eleventh house of horoscope : ग्यारहवां भाव यानि एकादश भाव आय का भाव होता है। इसके जरिये किसी भी तरह के लाभ, पूर्ण किये गए किसी कार्य द्वारा होने वाले भाग्योदय, बहु, मित्र, सिद्धि, माता की मृत्यु इत्यादि का बोध होता है। शनि एकादश भाव के भी स्वामी होते हैं।

Twelfth house of horoscope : बारहवां भाव अर्थात द्वादश भाव व्यय का भाव कहलाता है, जिससे मानसिक उत्पीड़न, दुर्घटना, आत्महत्या, पत्नी की बीमारी, मां का भाग्य, मोक्ष, धन हानि इत्यादि का ज्ञान मिलता है। गुरु द्वादश भाव के भी स्वामी होते हैं।

Santy के बारे में
For Feedback - timesbull@gmail.com
Share.
Open App