कहा जाता है कि समय सबसे बलवान होता है, इससे आज तक कोई नहीं जीत सका है। इसी बात का प्रमाण देती है श्रीलंका के क्रिकेटर सूरज रणदीव की कहानी। वैसे तो आज के समय में क्रिकेट में पैसों की बारिश होती है, लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जिनका क्रिकेट खेलने के बावजूद भी वर्तमान समय में कोई वजूद नहीं है। सूरज रणदीव की कहानी आपकी आंखें नाम कर देंगीं।
बनना पड़ा बस ड्राइवर
सूरज रणदीव की कहानी किसी के लिए भी एक अचंभे से कम नहीं है। साल 2011 के वनडे विश्व कप में सूरज श्रीलंका की टीम का हिस्सा थे। उन्होंने तीनों ही फॉर्मेट में श्रीलंका के लिए क्रिकेट खेला है। सूरज रणदीव ने साल 2009 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना डेब्यू किया था और कई उतार-चढ़ाव झेलते हुए उन्होंने श्रीलंका के लिए कई मैच खेले।
सूरज ने श्रीलंका के लिए 12 टेस्ट, 31 वनडे और 7 टी20 मुकाबले खेले हैं। टेस्ट क्रिकेट में उनके नाम 43 विकेट, वनडे में 36 विकेट और टी20 अंतरराष्ट्रीय में 7 विकेट दर्ज हैं। साल 2011 में सूरज रणदीव को महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स के लिए डेब्यू करने का अवसर प्राप्त हुआ था। आईपीएल में उन्होंने 8 मैच खेलते हुए 6 विकेट हासिल किए हैं। क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में जाकर बसने का फैसला किया था।
लेकिन, यहां जाकर सूरज अस्त होने की कगार पहुंच जाएगा, इस बात का किसी ने अंदाज़ा नहीं लगाया था। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया जाकर उन्हें बस ड्राइवर की नौकरी करने पर मजबूर होना पड़ा। साल 2020 में जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर गई थी तब मेज़बानों ने उन्हें नेट बॉलर के तौर पर अपने दल का हिस्सा बनाया था। एक क्रिकेटर बनने के बाद भी उनकी ज़िंदगी संघर्षों से भरी रही, ऐसा आज के समय में बहुत कम ही देखा जाता है।