Imran khan की गिरफ़्तारी को तीसरा दिन है। Imran Khan को विदेशी दौरों पर मिलने वाले महँगे तोहफों को सरकारी ख़ज़ाने में जमा कराने के बजाए खुद हड़प लेने का आरोप है। इसके अलावा उन पर आरोप है कि क़ादरी ट्रस्ट के नाम पर 50 मिलियन रुपये का घोटाला किया है।Imran Khan फ़िलहाल, पाकिस्तान के नेशनल एकाउंटेबुल ब्यूरो की हिरासत में है।
सवाल है कि करप्शन के आरोप में गिरफ्तार इमरान खान के मुद्दे पर पाकिस्तान में आग क्यों लगी हुई है। तो इसका पहला जवाब, इमरान खान की सत्ता से बेदख़ली से जुड़ा है। पीडीएम यानी शहबाज़ शरीफ़ नेतृत्व वाले गठबंधन की पुश्तों पर पाक आर्मी ने हाथ रख कर इमरान खान को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था।
इमरान खान चाहते कि पाक फ़ौज उनका साथ दे और शहबाज़ शरीफ़ के गठबंधन दल के नेताओं को गिरफ्तार कर उनकी सत्ता को बचाएँ। जब ऐसा नहीं हुआ तो इमरान ने खान ने पाकिस्तानी अवाम के दिमाग़ में पाक फ़ौज के ख़िलाफ़ ज़हर घोलना शुरू कर दिया। इमरान खान खुलेआम पाक फ़ौज और उसके अफ़सरों पर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगा रहे थे।
पाकिस्तानी फ़ौज की कमान कमर जावेद बाजवा से असीम मुनीर के हाथ में आने से इमरान खान और उनकी पार्टी और बौखला उठी। इमरान खान और पाक फ़ौज के चीफ़ असीम मुनीर के बीच काफ़ी पहले से छत्तीस का आँकड़ा था। पाकिस्तान में भुखमरी और आर्थिक तंगी फैली तो अवाम में शहबाज़ शरीफ़ सरकार के ख़िलाफ़ गुस्सा भड़क उठा। इमरान खान चाहते थे कि अवाम के ग़ुस्से का फ़ायदा मुल्क में इलेक्शन करवा कर लेना चाहते थे। पाकिस्तानी फ़ौज के बिना इमरान खान की यह इच्छा पूरी नहीं हो सकती थी। पाकिस्तानी फ़ौज पर्दे के पीछे से खेल, खेलने लगी।
इमरान खान को भले ही पाक फ़ौज का साथ नहीं मिला लेकिन पाकिस्तानी अदालतों ने इमरान खान का खुल कर साथ दिया।
शहबाज़ सरकार ने इमरान खान के ख़िलाफ़ जितने मुक़दमे क़ायम करवाए उन सब में निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आउट ऑफ वे जाकर साथ देते रहे। इमरान खान अदालत के ज़रिए शहबाज़ शरीफ़ को नाअहल (अयोग्य) करार दिलवा कर ख़ुद सत्ता हथियाना चाहते थे। इसी मुग़ालते में वो भ्रष्टाचार के मामले का सामना करने के लिए इस्लामाबाद हाई कोर्ट के दरवाज़े तक तो पहुँच गए लेकिन वहीं धर लिए गए।
घर से इस्लामाबाद हाईकोर्ट की ओर निकलने से पहले इमरान ने अवाम को आर्मी और शहबाज़ सरकार से इंतक़ाम के लिए उकसाया था। उन्होंने वीडियो भी बनाया था। इमरान भूल गए कि प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने ही क़ानून पास किया था कि आर्मी के ख़िलाफ़ बोलने वालों को जेल की हवा खानी पड़ेगी।
कुछ लोगों का कहना है कि यह लड़ाई शहबाज़ शरीफ़ और इमरान खान की नहीं बल्कि इमरान खान और पाक आर्मी चीफ़ असीम मुनीर के ख़िलाफ़ के अस्तित्व की लड़ाई है।
तीन दिनों जारी पाकिस्तानी गृह युद्ध में पाकिस्तानी पुलिस नदारद है यानी पाकिस्तानी पुलिस ने इमरान खान हुड़दंगियों के सामने सरेंडर कर दिया है। इसलिए रेंजर्स का सहारा लिया गया। कुछ थिंक टैंक का कहना है कि असीम मुनीर ने जानबूझकर आर्मी को चुप बैठने का हुक्म दिया और पाकिस्तान में गृहयुद्ध भड़कने दिया ताकि इमरान खान को सत्ता से बाहर किया जा सके, या उन्हें नाअहल करार कर पीटीआई को माइनस इमरान कर दिया जाए या फिर विद्रोह के आरोप में फाँसी के फंदे पर लटकाया जा सके।या पीटीआई को आतंकी संगठन घोषित कर बैन कर दिया जाए।
ख़ास बात यह है कि अभी तक इमरान समर्थक ही सड़कों पर हैं। आर्मी के हेडक्वार्टर पर, कोर कमाण्डर के सरकारी घर और शहबाज़ शरीफ़ के घरों को जला रहे हैं। सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर रहे हैं। मियांवाली एयरबेस में घुसकर हवाई जहाज़ों को जला रहे हैं। फ़ौजियों की स्टेच्यू को तोड़ रहे हैं। अभी तक पाकिस्तानी आर्मी चुप है और पीडीएम के समर्थक भी चुप हैं।
अभी ग़नीमत है मौलाना फजल उर रहमान ने अपने मदरसों का इमरान खान के समर्थकों से मुक़ाबले का हुक्म नहीं दिया है। पाकिस्तान की नून लीग और पीपीपी के समर्थक भी घरों में बैठे हैं।शायद आर्मी चीफ़ का हुक्म ही ऐसा है।ताकि केवल इमरान खान ही नहीं पूरी पीटीआई को कल अदम यानी बैन कर दिया जाए।
नैब की हिरासत में जाने से पहले इमरान खान के दिल के किसी कौने में इस बात की आशंका थी। इसीलिए उन्होंने सड़कों पर निकलने और इंतक़ाम लेने का आह्वान किया था। भले ही इमरान खान को रिटायर्ड जनरलों की एक टोली और कुछ सर्विगं फ़ौजी अफ़सरों के साथ का भरोसा था लेकिन मुखालफीन आईएसआई और आर्मी चीफ़ के चलते अफ़सरों की ये टोलियां और अदलिया (अदालतें) की धार कमजोर हो चुकी है।
एक तर्क यह है कि पाकिस्तान की पुलिस और आर्मी के अंदर इमरान समर्थकों की टोली की सक्रियता के चलते असीम मुनीर अपनी फ़ौज को की फूट को भी जगज़ाहिर नहीं होने देना चाहते हैं।
यही कारण है कि पाकिस्तान द बर्निंग पाकिस्तान बना हुआ है।
गुरुवार की सुबह प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के घर पर एक बार फिर इमरान समर्थकों ने पेट्रोल बमों से हमला किया। द बर्निंग पाकिस्तान के हालात सूडान और सीरिया जैसा हो सकता है। जहां एक ओर सरकार समर्थक फ़ौज और दूसरी और बागियों की फ़ौज होगी। बस कसर इतनी सी बची है कि इमरान समर्थक पाकिस्तानी अफ़सरों की टोली हथियारों समेत किस वक़्त बग़ावत का झण्डा बुलंद करते हैं।