World Thalassemia Day 2024: थैलेसीमिया में क्या खाएं और क्या न खाएं!

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Health Desk

थैलेसीमिया एक हीमोग्लोबिन से संबंधित रोग हैं जो व्यक्ति की हीमोग्लोबिन लेवल को प्रभावित करता हैं। और इसी कड़ी में प्रत्येक 8 मई को थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता हैं। और इस दिन थैलेसीमिया के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता हैं और उन्हें तमाम वो चीजे बताई जाती हैं जो थैलेसीमिया के वक्त लोगों को अपने जेहन में रखना चाहिए। और थैलेसीमिया से ग्रसित लोगों को किन चीज से परहेज करना चाहिए और किन चीज का सेवन करना चाहिए आइये जानते हैं। थैलेसीमिया के मरीजों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने खान-पान में पोषण संबंधी सभी आवश्यक तत्वों को शामिल करें। उन्हें अधिक आयरन, फोलेट, विटामिन D और अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। साथ ही, वे नियमित रूप से चिकित्सक से परामर्श करें और अपने इलाज का पालन करें। आइये जानते हैं की थैलेसीमिया से प्रभावित व्यक्ति को क्या खाना चाहिए और किन चीजों से दूरी बनानी चाहिए।

थैलेसीमिया मरीजों के लिए खानपान

  1. आयरन रिच फूड्स: थैलेसीमिया मरीजों को अपने खानपान में आयरन से भरपूर चीज़ें शामिल करनी चाहिए। इससे हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है। पालक, सेब, किशमिश, चुकंदर, अनार, अंजीर, और बादाम जैसे आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ उपयोगी होते हैं।
  2. फॉलिक एसिड से भरपूर चीज़ें: फॉलिक एसिड शरीर में नए ब्लड सेल्स की उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मटर, नाशपाती, पालक, अनानास, चुकंदर, केला, और बींस जैसे खाद्य पदार्थ फॉलिक एसिड से भरपूर होते हैं।
  3. विटामिन बी12 युक्त खाद्य पदार्थ: विटामिन बी12 भी थैलेसीमिया मरीजों के लिए आवश्यक है। डेयरी प्रोडक्ट्स और हरी पत्तेदार सब्जियां इसे प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं।
  4. विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ: विटामिन सी भी शरीर के लिए महत्वपूर्ण है, विशेषकर आयरन के अवशोषण में। संतरा, कीवी, नींबू, शिमला मिर्च, और स्ट्रॉबेरी खट्टे फल जो विटामिन सी से भरपूर होते हैं, इन्हें खाने में शामिल करना चाहिए।

इन चीजों का सेवन नहीं करे

थैलेसेमिया के मरीजों को कुछ चीजों का सेवन कम करना चाहिए। इनमें मैदा, उड़द, चना, आलू, बैंगन, भिंडी, फास्ट फूड, जंक फूड, बेकरी प्रोडक्ट्स, ज्यादा मात्रा में नमक और कैफिन युक्त पेय जैसे चाय और कॉफी आदि शामिल हैं। इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से हीमोग्लोबिन की संतुलित मात्रा पर असर पड़ता है और इससे थैलेसेमिया के मरीजों की स्थिति बिगड़ सकती है। इसलिए, इन्हें बचकर रहना उत्तम होगा।

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