खरीददारी में हो जाएं जालसाजी के शिकार तो ये बातें आ सकती हैं काम, जरूर पढ़ें पूरी खबर

Avatar photo

By

Timesbull

नई दिल्ली: Consumer Protection Act: आज के समय लोग काफी खरीदारी करते हैं। देखा जाए तो व्यक्ति अपने सुख सुविधा की चीज खरीदता है। अब व्यक्ति जब कोई सामान आदि खरीदता है तो जालसाजी का भी शिकार हो जाता है। देखा जाए तो कभी कंपनी की तरफ से कोई धोखा ही जाता है या फिर किसी थर्ड पार्टी से धोखा हो जाता है। जैसे कभी प्रोडक्ट खराब निकलता है तो कभी प्रोडक्ट रिप्लेस नहीं होता है।

अगर खरीदारी या सेवा लेते समय थोड़ी सावधानी बरतें। सबूत के तौर पर किसी कागजात के सहारे आप संबंधित कंपनी, फर्म या विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई करा सकते हैं। उपभोक्ता न्यायालय से आप जल्दी और आसानी से न्याय पा सकते हैं। इसमें खास बात यह है कि इसके लिए आपको वकील होने की आवश्यकता नहीं है। उपभोक्ता न्यायालय खुद व्यक्ति की शिकायत पर पैरवी करके सही क्षतिपूर्ति दिलाता है। साथ ही जरूरत पड़ने पर संबंधित दूसरे पक्ष के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी कर सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि  उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act) से कई सारे अधिकार मिलते हैं। चलिए जानते हैं क्या है उपभोक्ता न्यायालय और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम…

उपभोक्ताओं को मिलते हैं यह अधिकार

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में एक उपभोक्ता केलिए 6 अधिकार होते हैं। इनमें सुरक्षा का अधिकार, संसूचित (Communicated) किये जाने का अधिकार, चयन का अधिकार, सुनवाई का अधिकार, प्रतितोष पाने का अधिकार और उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार आदि हैं। ग्राहक जिला स्तर पर अपनी शिकायत  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच या आयोग, राज्य स्तर पर राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग या राज्य आयोग और राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अथवा राष्ट्रीय आयोग में दर्ज करा सकता है। आपको बता दें कि छोटे मामलों की जिला स्तर पर, बड़े मामलों की राज्य स्तर पर और उससे बड़े मामलों की राष्ट्रीय स्तर पर सुनवाई होती है।

उपभोक्ता न्यायालय से जल्दी मिलता है सरल, जल्दी और किफायती न्याय

कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (Consumer Protection Act) में ग्राहकों के लिए कई सारे अधिकार हैं। इसके तहत उपभोक्ता न्यायालय ग्राहकों को उचित और अतिरिक्त समाधान उपलब्ध करवाता है। बता दें कि अधिनियम के सारे प्रावधान क्षतिपूर्ति (compensation) और प्रतिपूरक (Compensatory) प्रकृति के हैं।

वेबसाइट के मामले में भी दर्ज की जा सकती है शिकायत

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होता है। इसमें सभी निजी, सार्वजनिक और सहकारी क्षेत्र शामिल हैं। देखा जाए तो आजकल ऑनलाइन पर काफी धोखाधड़ी हो रही है तो अब अगर ई-कॉमर्स वेबसाइट पर धोखधड़ी होती है तो आप इसकी भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। शिकायत करते समय आप उन दस्तावेजों को पेश करना होगा जिनके जरिए पता चल सके कि आपके साथ धोखाधड़ी हुई है। चाहे वह आर्डर, बुकिंग, पेमेंट आदि के स्क्रीन शॉट्स ही क्यों न हों। अब अगर आप शिकयत दर्ज कराना चाहते हैं पर जिला मंच  नहीं पता है तो एनसीडीआरसी की वेबसाइट http://ncdrc.nic.in से जानकारी ले सकते हैं।

बहुत ज्यादा सबूतों की नहीं पड़ती है जरूरत

यह अधिनियम सिर्फ उपभोक्ता के लिए बनाया गया है। ऐसे में इसमें शिकायत करने के लिए ज्यादा कुछ सबूतों की जरूरत नहीं पड़ती है।  आप जालसाजी या  सामान-सेवा में कमी को प्रूफ करते हुए उपलब्ध सबूत या कागजातों के आधार पर ही केस लड़ सकते हैं। आपको शिकायत करते समय अपना पूरा नाम, विवरण, पता आदि सही तरीके से लिखना है। आप चाहे तो अपनी शिकायत को टाइप करवा लें, जिससे न्यायालय आसानी से आपकी बातों को समझ जाएगा।

हालांकि आपको इस बात  रखना होगा कि शिकायत करते समय दूसरी पार्टी (कोई कंपनी, नाम या फर्म, जिसने गलत सेवा या उत्पाद दिया है) का नाम, पता, फोन नंबर, वेबसाइट सहित सभी विवरण दर्ज कराने हैं। अगर सेवा में कई कंपनियां शामिल हैं तो सभी कंपनियों को पार्टी बनाया जा सकता है। अब आपको शिकायत के फैक्ट और उसके बारे में पूरी जानकारी देनी होगी। जैसे कब, कहां और कैसे उपभोक्ता के अधिकारों का हनन हुआ है। अगर आप कोई आरोप लगाना चाहते हैं तो उसे भी लिख डालिए। अंत में संबंधित पार्टी से आप किस तरह की राहत चाहते हैं, इस बारे में भी लिखना होगा।

रसीद न होने पर काम आते हैं अन्य सबूत

अक्सर उपभोक्ताओं के पास कोई रसीद नहीं है तो वह शिकायत करने में हिचकिचाते हैं। दरअसल अक्सर माना जाता है कि  बिना रसीद हम कोर्ट में केस साबित कैसे करेंगे। आपको ये सब सोचने की जरूरत नहीं है। दरअसल जब रसीद नहीं होती है तो अन्य सबूत (जिन्हें सेकेंडरी एविडेंस में दाखिल किये जा सकते हैं) काम आते हैं। अब अगर सामान खरीदें तो उससे रसीद मांगे। रसीद न हो तो उसी कोई विजिटिंग कार्ड, पर्ची या हाथ से तैयार की गई कोटेशन भी लगाए जा सकते हैं। इस तरह से दस्तावेजों को कोर्ट मानता है। कभी कभार ऐसा होता है सेवा में जारी किए गए दस्तावेज खो जाते हैं। ऐसे में कुछ बहुत सबूतों के आधार पर शिकयत दर्ज कर सकते हैं और कोर्ट को लगता है कि शिकायत सही लग रही है तो वह दूसरी पार्टी से भी कागजात ले सकता है।

उपभोक्ता न्यायालय से यह ले सकते हैं लाभ

किसी वस्तु में कोई दोष निकला है तो उसे दूर करा सकते हैं।

खरीदी हुई वस्तु या सेवा को दोषमुक्त वस्तु अथवा सेवा से बदल सकते हैं।

शिकायत करने वाला कीमत अथवा अपना भुगतान वापस ले सकता है।

नुकसान की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति को उपभोक्ता मंच खुद भी निर्धारित कर सकता है और उचित दंड दे सकता है।

अनुचित व्यापार प्रथा अथवा प्रतिबंधित व्यापार प्रथा को समाप्त करवा सकते हैं।

Timesbull के बारे में
Avatar photo
Timesbull As a contributing author for TimesBull, I bring a wealth of expertise and passion to every piece I write. With a background in journalism and a keen interest in a diverse array of subjects, I strive to deliver insightful and engaging content that resonates with readers. Whether I'm delving into the intricacies of technology, exploring the latest developments in science, or analyzing current events shaping our world, my goal is to provide readers with thought-provoking perspectives and valuable information. With a commitment to accuracy and clarity, I endeavor to make complex topics accessible to a broad audience, fostering understanding and sparking meaningful conversations. My writing is characterized by meticulous research, balanced analysis, and a dedication to journalistic integrity. I take pride in crafting articles that inform, educate, and inspire readers to delve deeper into the subjects that matter most. Through my work with TimesBull, I aim to contribute to a platform that values quality journalism and fosters a community of curious minds. I am honored to be a part of this esteemed publication and look forward to continuing to share stories that inform, entertain, and enrich the lives of our readers. Read More
For Feedback - timesbull@gmail.com
Share.
Open App