नई दिल्ली। अपने प्रियजन को विदाई देते समय मुस्लिम समुदाय शोक मनाने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए परंपरागत तरीके अपनाता है। इस लेख में, हम आपको मुस्लिम अंतिम संस्कार की विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिसमें न केवल शव को दफनाने की प्रक्रिया शामिल है, बल्कि मृत आत्मा की शांति के लिए की जाने वाली दुआएं भी शामिल हैं।
शोक का पवित्र मार्गदर्शन
मुस्लिम धर्म में अंतिम संस्कार को “सुپرد-ए-खाक” के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है “अंतिम विदाई”। मृत्यु के बाद जल्द से जल्द, आमतौर पर 24 घंटों के भीतर, दफनाने की परंपरा है। इस कठिन समय में, समुदाय शोकग्रस्त परिवार को सहारा देने और मृतक के लिए प्रार्थना करने के लिए एकजुट होता है।
मृत्यु के बाद पहला कदम “غُسل (Ghusl)” होता है, जो शरीर को धोने की एक धार्मिक प्रथा है। यह आमतौर पर उसी लिंग के करीबी रिश्तेदारों या भरोसेमंद व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। शरीर को साफ पानी से सावधानीपूर्वक साफ किया जाता है, जिसमें विशिष्ट दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है।
कफन: सम्मान के साथ शरीर को लपेटना
घुस्ल के बाद, शरीर को एक साधारण, सफेद कपड़े में लपेटा जाता है जिसे “कफन” कहा जाता है। यह बिना सिले हुए कपड़ा ईश्वर के सामने सभी की समानता का प्रतीक है, क्योंकि सभी को एक ही तरह से दफनाया जाता है। पुरुषों को आम तौर पर तीन कपड़ों में लपेटा जाता है, जबकि महिलाओं को पांच कपड़ों में लपेटा जाता है।
जनाजा की नमाज़: मृतक के लिए प्रार्थना
दफनाने से पहले, मृतक के लिए एक विशेष प्रार्थना “जनाजा की नमाज़” पढ़ी जाती है। यह प्रार्थना आमतौर पर मस्जिद में या कब्रिस्तान में ही आयोजित की जाती है। इमाम (धार्मिक नेता) के नेतृत्व में यह एक सामूहिक प्रार्थना होती है, जिसमें परिवार, दोस्त और समुदाय के सदस्य शामिल होते हैं।
अंतिम विश्राम स्थल: कब्र में दफनाना
प्रार्थनाओं के बाद, शव को दफन स्थल पर ले जाया जाता है। मुस्लिम कब्रें आम तौर पर आयताकार गड्ढे होते हैं जिन्हें मृतक के लिए पर्याप्त सम्मान सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त गहराई में खोदा जाता है। शव को कब्र में उसके दाहिने तरफ रखा जाता है, जिसका मुख मक्का (इस्लाम में सबसे पवित्र स्थान) की दिशा में होता है।
सम्मानजनक दफन प्रथाएं
दफनाने के दौरान कुछ खास रीति-रिवाज देखे जाते हैं। शव को मिट्टी से ढकने से पहले, उसके ऊपर लकड़ी का तख्ता, पत्थर का स्लैब या बांस की पोल रखी जाती है। यह शरीर की रक्षा करता है और शोक मनाने वालों को सीधे उसमें मिट्टी डालने से बचाता है।