नई दिल्लीः कुछ महीने बाद बाद भारत में आम चुनाव होने से हैं, जिसे लेकर हर कोई अपनी तरह से रणनीति बनाने में जुटा है। इस बार सियासी गलियारों में महाराष्ट्र की खूब चर्चा हो रही है। कुछ महीने पहले ही शिवसेना का धड़ा तोड़कर बीजेपी ने सरकार ने एकनाथ शिदें को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया, जिसके कुछ बाद एनसीपी में भी फूट देखने को मिली।
एनसीपी तोड़ कुछ विधायकों के साथ अजीत पवार बीजेपी के साथ हो गए। इस बीच महाराष्ट्र में विधायकों की अयोग्यता से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़े दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को सीएम एकनाथ शिंदे के सहयोगी विधायकों की अयोग्यता से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करनी चाहीए। इतना ही नहीं कोर्ट ने आगे कहा कि इस सुनवाई में वह मामले के निपटारे की समय सीमा भी निर्धारित कर दें।
अयोग्यता का मामला हमेशा नहीं रह सकता लंबित
एकनाथ शिंदे के सहयोगी विधायकों की अयोग्यता के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को कड़े दिशा निर्देश दिए। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोग्यता का मामला अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रह सकता। सूबे के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है।
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 11 मई के आदेश के बावजूद स्पीकर कार्यालय ने शिंदे कैंप के विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई को रफ्तार नहीं दी गई है। इसके साथ ही शिवसेना विधायकों की अयोग्यता की याचिकाओं पर फैसले में देरी पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के मुताबिक, स्पीकर को सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का सम्मान करने की जरूरत होगी।
जानिए क्या है मामला
महाराष्ट्र की सियासत में अचानक ऐसा भूचाल आया था कि उद्धव ठाकरे ना सीएम रहे और पार्टी का चिन्ह भी चला गया था। चुनाव आयोग ने विधायकों की संख्या ज्यादा होने के बाद शिवसेना का चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया था। इस मामले में उद्धव ठाकरे गुट ने पार्टी और उसका चुनाव एकनाथ शिंदे गुट को दिए जाने के खिाफ याचिका दाखिल की थी। इसके बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 3 हफ्ते बाद मामले में सुनवाई की बात कही है।