नई दिल्ली। दुनिया की दिग्गज कंपनियों में शामिल रिलायंस इंडस्ट्री (Reliance Industries) की नींव रखने वाले मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के पिता धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) की आज यानी 28 दिसंबर 2023 को जयंती है।
धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) का जन्म 28 दिसंबर 1932 सौराष्ट्र के जूनागढ़ जिले में हुआ था। अपने दम पर उन्होंने रिलायंस की नींव रखी थी। रिलायंस इंडस्टी ने आज दुनियाभर में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई हुई है।
आपको जानकारी हैरानी होगी कि धीरूभाई अंबानी न तो वो किसी कारोबारी घराने से आते थे और न ही उनके पास पैसे थे। उनका जीवन पैसों की कमियों में गुजरा, लेकिन वो कहते हैं ना मेहनत और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है।
यदि आप सच्चे दिल से किसी काम को करने की चाहत रखते हैं, तो देर से ही सही लेकिन वो आपका काम जरूर पूरा हो जाता है। ऐसे ही कुछ जीवन रहा धीरूभाई अंबानी का।
उन्होंने पैसों के आभाव और अपनी मेहनत के दम पर अरबों का कारोबार खड़ा कर दिया। उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और हमेशा आगे ही तरफ बढ़ते ही चले गए। बिजनेस करने का सपना तो बहुत से लोग हर दिन देखते हैं, मगर सफल बहुत ही कम लोग हो पाते हैं।
महज 500 रुपये और तीन कुर्सी वाले एक दफ्तर में रिलायंस इंडस्टी की नींव रखी गई थी। भले ही उनके पास बिजनेस शुरू करने के लिए पैसा नहीं था, लेकिन उनके पास कारोबार चलाने के लिए दिमांग था। धीरूभाई अंबानी मिट्टी से भी पैसा कमाने का हुन्नर जानते थे।
धीरूभाई अंबानी के पिता टीचर थे, जिनके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। अपने परिवार की मदद करने के लिए उन्होंने 10वीं की पढ़ाई के बाद से ही छोटे – मोटे काम करने शुरू कर दिए थे, ताकि वो अपने घर की माली हालत सुधार सके। जब उनका पढ़ाई में मन नहीं लगा तो उन्होंने महज 17 साल की उम्र में साल 1949 में भारत से बाहर चले गए।
धीरूभाई अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए थे और वहां जाकर उन्होंने एक पेट्रोल पंप पर नौकरी करनी शुरू कर दी थी। यहां उन्हें सैलरी के तौर हर महीने 300 रुपये मिलते थे।
उनका काम बहुत ही अच्छा लगा तो उन्हें पेट्रोल पम्प का मैनेजर बना दिया गया था। धीरूभाई का मन नौकरी में नहीं लग रहा था, वो हमेशा से ही खुद का बिजनेस करना चाहते थे, ऐसे में जो सेविंग बची थी वो लेकर वापस भारत लौट आये थे।
500 रुपये से की शुरुआत
केवल 500 रुपये के साथ वो मुंबई पहुंच गए थे। फिर उन्होंने अपने चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी की मदद से रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन कंपनी की शुरुआत कर डाली।
बिजनेस की समझ उनके पास पहले से थी। फिर उन्होंने पश्चिमी देशों में अदरक, हल्दी और अन्य मसाले बचने शुरू कर दिए थे। उन्हें मार्केट की काफी अच्छी समझ थी। उन्हें समझ आ गया था आने वाले वक्त में पॉलिएस्टर कपड़ों की डिमांड बहुत ही तेजी से बढ़ने वाली है। वो हमेशा की आगे की सोचा करता थे।
उन्होंने रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन के लिए मुंबई में 350 वर्ग फुट का कमरा किराए पर लिया था। ऑफिस में एक मेज, तीन कुर्सी, राइटिंग पैड के साथ ही उन्होंने कंपनी की शुरुआत की थी।
साल 1966 में उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद में एक कपड़ा मिल की शुरुआत की जिसका नाम ‘रिलायंस टैक्सटाइल्स’ रखा। बिजनेस के शुरूआती दौर में उन्हें 14-15 घंटे काम करना पड़ता था।
लेकिन काम के बाद जितना भी समय मिलता था, वो अपने परिवार को देते थे। उन्हें न तो पार्टी करना पसंद था और न ही घूमना-फिरना। साल 1977 में जाकर उन्होंने आखिरी में रिलायंस इंडस्ट्रीज नाम रखा। धीरूभाई अंबानी रिस्क देने के माहिर थे।