नई दिल्ली PPF Vs NPS: अगर आप निवेश करने का प्लान कर रहे हैं तो आपके लिए सबसे सहीं लॉन्ग टर्म निवेश है। देश में काफी सारी लॉन्ग टर्म सेविंग स्कीम चलाई जा रही है। ये स्कीम रिटायरमेंट में पैसे बचाने के तौर पर बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकती हैं। इसमें निवेश का सबसे सेफ ऑप्शन के तौर पर माना जाता है।
आपको बता दें एनपीएस में रिटायरमेंट सेविंग प्लान है और बाकी का 40 फीसदी उपयोग पेंशन स्कीम के लिए किया जाता है। चलिए दोनों के फायदे और नुकसान के बारे में जानते हैं।
पीपीएफ स्कीम
पीपीएफ सरकार की बनाई लॉन्ग टर्म सेविंग स्कीम है। रिटायरमेंट के लिए पैसे बचाने का शानदार ऑप्शन माना जाता है। वहीं एक्सपर्ट के अनुसार, पीपीएफ में निवेश काफी सेफ माना जाता है। इस पर सरकार के द्वारा रिटर्न तय किया जाता है।
पीपीएफ में निवेश की रकम की कोई लिमिट नहीं है। ये स्कीम 15 सालों के लिए है। पीपीएफ खाते में सालाना 500 रुपये से 1.5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं। वहीं टैक्स सेविंग के लिहाज से पीपीएफ में निवेश करना शानदार साबित हो सकता है।
निवेश की गई रकम और मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इनकम टैक्स की धारा 80सी के मुताबिक ये पैसा टैक्स फ्री है। कोई भी शख्स जो भी नागरिक है और 18 साल से ज्यादा आयु का है वह पीपीएफ खाता ओपन कर सकता है और इसमें निवेश कर सकता है।
NPS में निवेश करने से बन जाएंगे लखपति
NPS एक रिटायरमेंट सेविंग प्लान है। ये एक ऐसी सरकारी स्कीम है जो कि नागरिकों को उनके कामकाजी जीवन के समय अपने आने वाले समय में निवेश करने की परमीशन देता है। एनपीएस में निवेश का 60 फीसदी भाग रिटायरमेंट के समय निकाला जा सकता है।
वहीं बाकी का 60 फसदी उपयोग पेंशन स्कीम खरीदने के लिए किया जाता है। NPS एक तय रिटर्न वाला निवेश नहीं है। एनपीएस पर रिटर्न मार्केट के जोखिम से जुड़ा है। एनपीएस में 18 साल से 70 साल की आयु के बीच में किसी भी नागरिकों के लिए ओपन है। कोई भी शख्स इस स्कीम में शामिल होकर और इसमें रेगुलर रूप से निवेश करके लाभ उठा सकते हैं।