नई दिल्ली- 2024 का चुनाव आते ही सरगर्मियां तेज हो गई है। 2024 यानी लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा खासतौर से यूपी में अपने ऊपर लगे सभी दाग और धब्बे पोछ लेना चाहती है। जो देना चाहती है। इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने अगले मंत्रिमंडल का विस्तार में कई बड़े फैसले लिए जाएंगे। सबसे चौंकाने वाला फैसला इस कड़ी में लखीमपुर खीरी कांड से विवाद में आया ग्रह में जहां से गृहमंत्री अजय मिश्र टेनी कि मोदी मंत्रिमंडल से छुट्टी हो सकती है। इसी तरह भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को अगले लोकसभा चुनाव में टिकट मिलना मुश्किल हो सकता है।
लोगों को लग सकता है। की आखिर इतने विवादों और और आंदोलन के बाद भी जिस तेनी और बृजभूषण शरण सिंह को भाजपा नेतृत्व बनाना चाहती है। आखिर अब उस पर कार्यवाही क्यों इस बारे में संघ और भाजपा के बीच की कड़ी रहे एक पदाधिकारी की बात वह साफ कहते हैं। कि तकनीकी और राजनीतिक दबाव में लिया गया। फैसला होता है। वह मजबूत सरकार और नेतृत्व की छवि
प्रश्न होता है।
तो फिर अभी क्या उस पर प्रश्न नहीं उठेगा इस प्रश्न का भी उत्तर टपक से मिलता है। समय और परिस्थिति के हिसाब से कुछ फैसले लिए जाते दबाव में हम नहीं आते। या राजनीतिक विरोधियों को जताना जितना जरूरी था। वही दाग हम बर्दाश्त नहीं करते या जनता को भी जताना जरूरी था।
सूत्रों के मुताबिक खासतौर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मत बिल्कुल स्पष्ट है। कि किसान आंदोलन के दौरान अजय मिश्रा टेनी के बेटे अशीष मिश्रा उर्फ मोनू की ठार जिस तरह से आंदोलनरत किसानों के ऊपर से गुजरी उसके निशाने छुपे हुए है। घाव की तरह कभी भी उभर सकते हैं । उस समय हिंसा दोनों तरफ से हुई थी भाजपा कार्यकर्ता भी पीते गए थे। और उनकी मौत भी हुई थी लिहाजा कानूनन कार्यवाही में मोनू मिश्रा पर महुआ नहीं बरती गई लेकिन विपक्ष के दबाव में अगर ट्रेनी को मंत्री पद से हटा दिया जाता तो भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता उन्हें लगता कि विपक्ष दलों ने उन्हें दवा लिया और सरकार भी उनके साथ नहीं है।
इसलिए उस समय फैसला नहीं लिया गया अब जबकि अगले साल लोकसभा चुनाव है उससे पहले मोदी मंत्रिमंडल का आखिरी विस्तार या फेरबदल है। ऐसे में टेनी की विदाई से अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष को धार कांड के छिपे हुए जख्म को हरा करने का मौका नहीं मिलेगा।
इसी तरह बृजभूषण शरण सिंह के राजनीतिक कैरियर पर ग्रहण सा छाया हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में भारत का सम्मान बढ़ाने वाले पहलवानों के सड़कों पर उतरने और गंभीर आरोपों से सिंह तुरंत भले ही बचे हुए उन पर पुलिस की कोई कार्यवाही ना हुई हो लेकिन राजनीतिक आधार पर उनके खिलाफ बड़ा फैसला लिया जाना तय है दरअसल केंद्र सरकार और भाजपा का मानना है। कि बृजभूषण शरण सिंह पर लगे आरोप यौन उत्पीड़न के आरोप पूरी तरह से राजनीतिक गतिविधियों के लिए सही नहीं है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह के बेटे दीपेंद्र के खेमे ने पूरी तरह से पहलवानों के इस प्रदर्शन या आंदोलन की साजिश रची बताया गया था। लेकिन मोदी सरकार बिल्कुल ही दाग धब्बे साफ करना चाहती है।