नई दिल्लीः योग गुरु बाबा रामदेव के स्वामित्व वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पंतजलि की ओर से माफीनामे को दावे को पूरी तरह से एक बार फिर खारिज कर दिया है। आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए भ्रामिक दावों पर कोर्ट की अवमानना पर सर्वोच्च अदालत में मंगलवार को सुनाई हुई।
कोर्ट रूम में योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद मैनेजर डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण मौजूद थे। पंजलि की तरफ से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट का जानकारी दी की कंपनी ने 67 अखबारों में माफीनाम दिया है, जिसमें कंपनी के 10 लाख रुपये तक खर्च हुए। इस पोर्ट ने पतंजलि के माफीनामे को अस्वीकार कर दिया। मामले की अगली सुनवाई अब 30 अप्रैल को होगी। इस दिन भी बाबा रामदेव और बालकृष्ण को कोर्टमें पेश होना है।
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सुप्रीम कोर्ट ने पीछे तीखे सवाल
मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरन जस्टिस ने पंतजलि के वकील से पूछा कि आखिर कल माफीनामा दाखिल क्यों किया गया। कोर्ट ने आगे नसीहत देते हुए कहा कि यह तो पहले ही कर दिया जाना चाहिए था। इस पर पतंजलि की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमने 67 अखबारों में हमने माफीनामा दिया है।
इस पर हमने 10 लाख रुपए खर्च किए । इसके बाद विज्ञापन पर अदालत ने पूछा कि ये उतने ही साइज का माफीनामा है, जितना बड़ा आप विज्ञापन देते हैं? अदालत ने पूछा क्या आप हमेशा इतने साइज का ही विज्ञापन देते है? जब पतंजलि के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी ने विज्ञापन पर लाखों खर्च किए हैं, तो अदालत ने जवाब दिया कि इसकी हमें कोई चिंता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात
सुप्रीर्म कोर्ट ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिशन ने बताया कि वह इस मामले की अरीज में ग्राहक एक्ट को भी सामिल कर सकते हैं। ऐसे में सूचना प्रसारण मंत्रालय का क्या। कोर्ट ने कहा कि हमने देखा कि पतंजलि मामले में टीवी पर चल रहा है कि कोर्ट इस मामले में क्या कर रहा है, ठीक दुसरी साइड में पतंजलि का विज्ञापन भी चल रहा है।
कोर्ट ने सवाल पूछा कि आयुष मंत्रालय ने नियम 170 प्राधिकरण की इजाजत के बिना आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं के विज्ञापन पर रोक) को वापस लेने का निर्णय क्यों किया गया है। आगे कोर्ट ने कहा कि क्या आपके पास यह करने का अधिकार है कि मौजूदा नियम का पालन न करें। क्या यह मनमाना नहीं है।