नई दिल्ली EPFO NEWS: ईपीएफओ के द्वारा एक परिपत्र जारी किया गया है। जिसमें कुछ खास ईपीएफ खाताधारकों को ज्वाइंट डिक्लेशन फॉर्म को जमा करने से राहत दी गई है। ये फॉर्म खासतौर पर तब जरुरी होता है जब मौदूगा वैधानिक सैलरी लिमिट 15 हजार रुपये मंथली से ज्यादा सैलरी पर ईपीएफ खाते में कंट्रीब्यूट किया जाता है।
ये राहत ईपीएफ सदस्यों की कुछ कैटेगरी पर लागू होती है। 1 नवंबर 2023 से पहले जिन सदस्यों ने नौकरी छोड़ दी या जिनकी मौत हो गई है। उनको ज्वाइंट डिक्लेशन फॉर्म को जमा करने जरुरत नहीं है। अगर उनके द्वारा ज्यादा कट्रीब्यूशन किया गया था। लेकिन उस तारीख से पहले नौकरी छोड़ दी है या फिर उनकी मौत हो गई है।
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मौजूदा सदस्य जो पहले से ही वैधानिक सीमा से ज्यादा सैलरी पर कंट्रीब्यूट किया जा रहा है और उनके नियोक्ता ज्यादा योगदान पर प्रशासनिक शुल्क का पेमेंट कर रहे हैं, उनको भी ज्वाइंट डिक्लेशन फॉर्म को फौरन दाखिल करने में छूट दी गई है।
EPFO ने सभी पीएफ सदस्यों के लिए ज्वाउंट डिक्लेशन फॉर्म के लिए एक नया पेपर पेश किया है। वैधानिक लिमिट से ज्यादा मूल सैलरी के साथ में पहली बार पीएफ स्कीम में शामिल होने पर फॉर्म जमा करना होगा।
मौजूदा पीएफ सदस्यों को नौकरी बदलने पर फॉर्म को जमा करना होगा। अगर उनकी सैलरी वैधानिक लिमिट से ज्यादा है। इसके अलावा हर बार जब कोई पीएफ सदस्य वैधानिक लिमिट से ज्यादा सैलरी के साथ में नौकरी बदलता है तो फॉर्म जमा करना होगा।
पीएफ स्कीम नियमों के तहत 15 हजार रुपये से ज्यादा मंथली सैलरी वाले कर्मचारी खुद ही पीएफ स्कीम में शामिल होने के पात्र हैं। अगर शामिल होने के समय मंथली सैलरी 15 हजार रुपये से ज्यादा है, तो नियोक्ता और कर्मचारी को ज्वाइंट डिक्लेशन फॉर्म को जमा करना होगा।
पीएफ स्कीम नियमों में अगस्त 2014 में संशोधन किया गया था। जिसमें वैधानिक सैलरी 6500 रुपये से बढ़ाकर 15 हजार रुपये मंथली कर दिया गया था। 1 सितंबर से पीएफ सदस्य में शामिल होने के लिए पात्र हैं। अगर उसका मंथली सैलरी से ज्यादा नहीं है।
पीएफ खाते में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों अपनी मूल सैलरी का 12 फीसदी पीएफ खाते में कंट्रीब्यूट करते हैं। पीएफ खाते में नियोक्ता का कंट्रीब्यूट के चरण में टैक्स के योग्य नहीं है। लेकिन इसके लिए धारा 80सी के तहत कटौती नहीं है।