नई दिल्ली- साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर मायावती ने 23 अगस्त को बहुजन समाज पार्टी की एक अहम बैठक बुलाई थी। सोशल मीडिया पर सामने आई एक खबर ने सबको चौंका दिया है। बैठक के दौरान एक तस्वीर सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रही यह तस्वीर बहुत कुछ साफ कर देती है। एक तस्वीर जिसकी खूब चर्चा हुई जिसमें मायावती अपने भतीजे आकाश चांद के कंधे पर हाथ रखते हुए उन्हें शाबाशी देती हुई नजर आई। इस तस्वीर को देख सियासी गलियारों में उठी चर्चा अब आनंद ही आनंद बसपा में दिखाई दे रहा है। यानी कि अब आनंद ही बसपा का भविष्य है।
कुछ ऐसी ही घटना मायावती के साथ भी घाटी साल 1977 में अचानक सदियों भरी एक रात में तब के बंद सेफ नेता काशीराम ने मायावती के घर दस्तक की और उन्हें इस की तैयारी छोड़ राजनीति में आने की सलाह दी इतिहास गवाह है। कि मायावती के राजनीति में आने से लेकर अब तक वह चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी राजनीतिक विश्लेषण को का मानना है। कि जैसे मायावती के साथ काशीराम ने किया था। वैसे ही मायावती ने अपने भतीजे के साथ किया है।
आपको बता दे कि जिस तरह से मायावती ने राजस्थान चुनाव में छूट अपने भतीजे आकाश आनंद को लखनऊ की बैठक में बुलाया और उनके कंधे पर हाथ रख उसे एक तरफ यह साफ हो गया। कि आनंद बसपा के लिए खास है। ऐसी चर्चा है। कि आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी भूमिका अहम रहने वाली है। और पार्टी के विरासत संभालने के लिए अब रेस में उनके अलावा कोई और नजर नहीं आ रहा है।
आपको बता दे की साल 1984 में काशीराम में बसपा की स्थापना की थी तब मायावती ने अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा था। मगर उनके हिस्से हर आई तब मायावती की उम्र 28 साल थी मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 में हुआ था।
वही उनके 1995 में जन्मे उनके भतीजे आकाश आनंद भी इस समय 28 साल के ऐसी चर्चा है। कि अब आकाश आनंद 28 साल की उम्र में ही अपने जीवन का पहला लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। आप देखना यह होगा कि मायावती के भतीजे 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ते हैं। या नहीं या अभी देखना अहम रहेगा कि आकाश सिर्फ किस सीट से अपना पहला चुनाव लड़ेंगे।
मायावती ने बसपा के वरिष्ठ पदाधिकारी के साथ बैठक में गठबंधन को लेकर पार्टी के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि गठबंधनों से बसपा को फायदे के मायने नुकसान ज्यादा नजर आए है। उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन अगले लोकसभा चुनाव में जीत के दावे कर रहे मगर सत्ता में आने के बाद इन दोनों की ज्यादातर वादे खोखले ही साबित हुए है।