Shaheed Diwas: आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले महापुरुषों को आज भी देशभर में बड़े ही शान के साथ याद किया जाता है। शहीद दिवस आज बड़े हर्सोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आजादी के लिए अंग्रेजों के सामने चट्टान की तरह खड़े हुए भगत सिंह, सुख देव और राजगुरु को 23 मार्च की वो तारीख जब इंग्लिश हुकूमत ने फांसी दी थी।
तीन रणबांकुर चाहते तो जीवनदान मिल जाता, लेकिन हंसते-हंसते फांसी के तख्ते चूम लिए थे। उनके योगदान को देश ही नहीं दुनियाभर में लोहा माना जाता है। आजादी के बाद से तीनों बलिदानी सपूतों की याद में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन सरकारी-गैर सरकारी कार्यालयों, स्कूलों और संगठनों की तरफ भावभीनी श्रद्धांजलि देकर याद करते हैं। इतना ही नहीं स्कूलों में बच्चों द्वारा शहीदों के नाम पर नाटक और नाटिका से प्रस्तुति भी दी जाती है।
शहीद दिवस पर बच्चे और शिक्षक रख सकते हैं अपने विचार
शहीद दिवस के मौके पर स्कूलों और तमाम कार्यालयों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जहां शिक्षकों के साथ-साथ बच्चे भी अपने विचार रख रहे हैं। हर कोई भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को याद कर श्रद्धांजिल अर्पित कर रहा है। अगर आप भी किसी स्कूल में शहीद दिवस पर अपने विचार रखना चाहते हैं तो फिर हम आपको बताने जा रहे हैं।
आदरणीय शिक्षक गण, प्रिंसिपल सर/मैडम और प्यारे भाइयों और साथियों, आज के दिन भारत के महान क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत को याद कर हम उन्हें नमन कर कर रहे हैं। देशभर में आज तीनों रणबांकुरों की याद में शहीद दिवस बड़े ही हर्सोल्लास के साथ मनाया जा राह है।
मैं आप सभी का आभार प्रकट करना चाहता हूं कि इस शुभ अवसर पर मुझे अपने विचार प्रकट करने का मौका दिया। भाइयों और बहनों आपको जानकर खुशी होगी कि हमारे तीन रणबांकुरों ने साल 1928 में एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
तभी से अंग्रेजों ने तीनों को खत्म करने की साजिश रचनी शुरू कर दी थी। उन्हें पता था कि अगर तीनों को ठिकाने नहीं लगाया तो हमें भारत में पांव पसारना मुश्किल हो जाएगा। पहले तीनों को जेल में डाल दिया। फिर 23 मार्च 1931 को शहीद ए आजम भगत सिंह को उनके दो साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया।
देशभर में दी जा रही श्रद्धांजलि
शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की याद में देशभर में श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। अंग्रेजों से अपने नाम का लोहा मनमाने वाले तीनों रणबांकुरों को हर कोई याद कर रहा है। स्कूलों और सरकार व गैर सरकारी कार्यालयों में तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उनके बलिदान को नमन कर रहे हैं।