नई दिल्ली- राजस्थान के बाड़मेर में स्थित बायतु विधानसभा सीट का इतिहास मैच 15 साल पुराना है। इस सीट पर जाटों का दबदबा रहा है। इस सीट में कर्नल सोनाराम चौधरी कैलाश चौधरी और तीसरे विधानसभा चुनाव में हरीश चौधरी को जीत हासिल हुई पड़े इस सीट का पूरा इतिहास क्या है।
बता दें कि पश्चिम राजस्थान की सबसे हॉट सीट बन चुकी बायतु विधानसभा क्षेत्र का मुकाबला उसके गठन के बाद से ही रोचक रहा है साल 2008 में परिसीमन के बाद बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में अलग होकर बनी बायतु विधानसभा सीट पर एक बार भाजपा और दो बार कांग्रेस का कब्जा रहा है।
बायतु विधानसभा सीट की खासियत यह है कि जब भी सीट का गठन हुआ है तब से लेकर आज तक तीन बार विधानसभा चुनाव हुए और इन तीनों ही चुनाव में जात प्रतिनिधि की जीत हुई। पहले चुनाव में कर्नल सोनाराम चौधरी दूसरे में कैलाश चौधरी और तीसरे में विधानसभा चुनाव में हरीश चौधरी को जीत हासिल हुई इस सीट को लेकर मिथक है। कि जो भी यहां चुनाव लड़ता है। वह दोबारा विधानसभा सीट से चुनाव नहीं जीत जाता है बायतु विधानसभा सीट के लिए कहा जाता है। कि जहां से एक बार चुनाव जीतने वाला व्यक्ति दूसरी बार चुनाव नहीं जीत पाता है।
बता दे कि बायतु विधानसभा सीट पर पहले चुनाव में कांग्रेस की ओर से कर्नल सोनाराम चौधरी चुनाव मैदान में उतरे थे वहीं भाजपा की तरफ से कैलाश चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया था लेकिन कैलाश चौधरी को मात देते हुए कांग्रेस के कर्नल सोनाराम को 62207 वोट से जीत हासिल हुई।
दूसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से कर्नल सोनाराम चौधरी और भाजपा की ओर से कैलाश चौधरी के बीच भीषण टक्कर हुई इसमें कैलाश चौधरी को जीत हुई और उनके पक्ष में 73093 वोट पड़े जबकि सबसे करीबी प्रतिद्वंदी कर्नल सोना चौधरी को महज 60000 वोटों से संतोष करना पड़ा था।
बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला 4 तरह का हो गया था इस चुनाव में कांग्रेस के हरीश चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया वहीं भाजपा की ओर से तत्कालीन विधायक कैलाश चौधरी ताल ठोक रहे थे वहीं 2018 में ही अस्तित्व में आई हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी चुनावी मैदान में इस चुनाव में आरएलपी की ओर से उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार हरीश चौधरी को जीत मिली और उसके पक्ष में 57703 वोट पड़े जबकि उनके बहुत करीबी प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को सिर्फ 43900 वोटों से संतोष करना पड़ा था।