नई दिल्ली- राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होना है। उससे पहले सियासत तेज हो गई है। हर पार्टी पूरी ताकत से राजस्थान में चुनाव प्रचार कर रही है और अपने आप को जीता हुआ बताने के लिए जीतने के लिए पूरे प्रयास कर रही है। इस दौरान आज हम आपको बताएंगे कि एक ऐसी सीट है राजस्थान की जहां पर पति-पत्नी के बीच कड़ी टक्कर देखी जा सकती ऐसी कौन सी सीट है। जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं नीचे विस्तार से पढ़िए
राजस्थान में एक दातारामगढ़ विधानसभा सीट है जहां पर बड़ा मुकाबला है मुकाबला किसी और से नहीं बल्कि पति-पत्नी के बीच माना जा रहा है यह ऐसी सीट है। जिसे पूरी राजस्थान की नजर भी बनी रहेगी और देखने वाली बात यह होगी कि किस तरीके से यहां का माहौल बदलता है। क्योंकि इस सीट पर जेपी पार्टी की तरफ से पत्नी रीता चौधरी को विधानसभा का टिकट दे दिया गया है वहीं कांग्रेस ने वीरेंद्र सिंह को चुनावी मैदान में उतार दिया है। रीता चौधरी वीरेंद्र सिंह की पत्नी है।अब देखने वाली बात होगी की चुनावी रण में कौन किसका कितना साथ देता है।
राजस्थान की जनता की तरफ से जो सवाल उठ उसमें यह था। कि जब एक घर में पति-पत्नी आपस में नहीं रह सकते तो फिर किस तरीके से राजस्थान की विधानसभा में विकास करेंगे इस बड़े सवाल को लेकर जनता आप खड़ी हुई नजर आ रही है। लेकिन इस बीच एक सवाल लगातार बना हुआ है।
सवाल यह है कि एक ही विधानसभा से पति-पत्नी चुनाव कैसे लड़ सकते हैं। अगर लड़ सकते हैं। तो आमने-सामने कैसे विरोध करेंगे यह बड़ा सवाल लगातार बना हुआ है। लेकिन रीता चौधरी को जेजीपी यानी कि जननायक पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया वहीं कांग्रेस की तरफ से उनके पति और मौजूदा विधायक वीरेंद्र सिंह को फिर से एक बार वहीं से टिकट दे दिया गया है।
इस दौरान जब मीडिया ने पटरी रीता चौधरी से बातचीत करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने बड़े ही कड़े शब्दों में कहा कि जो हमारा मन करता है। जो मुझे सही लगता है मैं वही करती हूं अगर जननायक पार्टी ने मुझे शामिल करके मैदान में उतारा है। तो मैं कड़ी टक्कर के साथ सामने कोई भी चुनावी रण में कोई किसी का सगा नहीं होता हम पूरे दम काम के साथ चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने और आगे कहा कि मैं हमेशा जनता के बीच में रहती हूं और कम से कदम मिलाकर जनता की हर समस्या के लिए खड़ी रहती है इसलिए लोगों ने मेरे फैसले को एक्सेप्ट किया है जो लोग खुश हैं। वह बदलाव चाहते हैं। और जो बदलाव चाहते हैं। उनके बदलाव में हम शामिल हैं।
अगर हम पति वीरेंद्र सिंह की बात करें तो उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में पिछले 5 सालों में तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनवाएं और नए स्कूल जैसी कल्याणकारी परियोजनाओं का शिलान्यास किया और उन पर काम करने का काम भी किया है। वह पूरी ताकत से चुनाव मैदान में उनका कहना है। कि ऐसी स्थिति में या निश्चित रूप से पत्नी का सीधा विरोध करेंगे और उनका मुकाबला करेंगे।
कांग्रेस ने वीरेंद्र सिंह को पहली बार 2018 में यहां से अपना प्रत्याशी बनाया था इसके बाद अच्छे मतों के साथ में वीरेंद्र सिंह इस विधानसभा सीट से जीत कर गए थे। क्योंकि दातारामगढ़ एक ऐसी विधानसभा है। जहां पर जाट मतदाताओं का दबदबा है इसलिए यहां पर कांग्रेस दोबारा तिबारा चौबारा से लगातार जीत कर आई है