Pakistan का सियासी Don इमरान खान, आर्मी चीफ की ‘आयरन फिस्ट्स’ टांय-टांय फिस्स

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 Pakistan का सियासी Don – पाकिस्तान के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। ऐसा कहा जारहा है, इमरान खान की रिहाई के बाद पाकिस्तान में तूफ़ान आने से पहले की खामोशी है। कुछ कोर कमांडरों को छोड़कर आम फ़ौजी और जूनियर कमांडिंग ऑफ़िसर्स से लेकर जनरल ऑफ़िसर इन कमांड तक ग़ुस्से से उबल रहे हैं। बहरहाल, पाकिस्तान में तूफ़ान आने से पहले की खामोशी का जुमला क्यों दोहराया जा रहा है,

कहीं तूफ़ान से पहले की खामोशी और ‘आयरन फिस्ट्स’ फ़ेस सेविंग के लिए है, असल में पाक आर्मी और आर्मी चीफ़ असीम मुनीर ने इमरान खान के सामने सरैंडर तो नहीं कर दिया है?

क्या इसी का नतीजा था  पीटीआई के चेयरमेन और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ने आज बचे-खुचे पाकिस्तान से अपने मन की बात कही। इमरान खान के कहने का फ़लसफ़ा यह था कि जनरल आसिम मुनीर उनकी हत्या करवाना चाहते हैं। आसिम मुनीर और बाक़ी जनरल (जो उनकी तरफ़दारी नहीं करते है वो) पॉलिटिकल पार्टी बना कर मैदान में आएँ। इमरान ने जिन्ना हाउस को आग के हवाले करने, गवर्नर हाउस को फूंकने और रेडियो पाकिस्तान को राख करने की ज़िम्मेदारी आर्मी चीफ़ असीम मुनीर के ऊपर डाल दी। पाकिस्तान को बर्बाद करने वाले इमरान खान ने पाक आर्मी चीफ़ को ही विलेन बना दिया। 

हालांकि, इमरान खान (Pakistan का सियासी Don) की स्पीच, अख़बारों और ऑनलाइन वेबसाइटों की सुर्ख़ियाँ बनता कि उससे पहले ही डीजीआईएसपीआर का प्रेस नोट दुनिया भर की मीडिया तैरने लगा। पेशावर कोर कमाण्डर का दौरा करने के बाद असीम मुनीर ने फ़ौजी अफ़सरों को एडरेस किया। जिसमें उन्होंने कहा कि जिन्ना हाउस और आर्मी हेडक्वार्टर पर हमला करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। इतना ही नहीं पाकिस्तान के एक अख़बार ने सुर्खी बनाई है कि ‘Black Day’ perpetrators to be dealt with Iron fist. दूसरे अखबार ने हेडलाइन बनाई है ‘Planners, Abettors and Executors of May 9 Vandalism to be brought to Justice.’ एक तीसरा अखबार है उसकी हेडलाइन है ‘Army warns against further Attempts to Vandalise Security Installations.’ पहली और दूसरी हेडलाइंस से अहसास होता है कि आर्मी चीफ इमरान खान को सीधी-सीधी धमकी दी है। ऐसी ही धमकी इमरान खन ने अपने लोगों को संबोधित करते हुए आर्मी चीफ को भी दी है। 

टेररिस्ट्स के स्पोक्सपर्सन इमरान खान

इमरान खान (Pakistan का सियासी Don) ने कहा कि आर्मी चीफ़ ने मेरी पीठ में छुरा भोंक कर सत्ता क्रिमिनल्स के हाथों में सौंप दी। इमरान खान ने आर्मी चीफ़ और आर्मी को और भी बहुत सी बातें कहीं हैं।आर्मी चीफ़ ने भी उनका जवाब भी दिया है। मतलब है कि तलवारें अभी म्यान में नहीं गई हैं। 

एक सवाल उठता है कि इमरान के ख़िलाफ़ आर्मी चीफ़ है तो फिर अदालतें किसके दम पर इमरान खान (Pakistan का सियासी Don) की जायज़-नाजायज तरफ़दारी कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है पाकिस्तान में आर्मी या शहबाज़ की सरकार नहीं बल्कि चीफ़ जस्टिस अमर अता बंदयाल की सरकार चल रही है। इसका जवाब भी है। आज पाकिस्तानी आर्मी में जो कुछ भी हो रहा है उसके ज़िम्मेदार एक्स आर्मी चीफ़ कमर जावेद बाजवा हैं। कमर जावेद बाजवा ने खेल कर दिया। रिटायरमेंट के आख़िरी दिनों में अपने  12 बफादार मेजर जनरलों को लेफ़्टिनेंट जनरल बना दिया। हालाँकि ये अधिकार उनके बाद आने वाले यानी मौजूदा आ र्मी चीफ़ का था। फ़ौज की कमान असीम मुनीर को करनी थी तो अफ़सर भी उनकी मर्ज़ी के और बफादार किस्म के होने चाहिए थे। इस समय जितने भी पॉलिसी और रणनीति पद हैं उन पर कमर जावेद बाजवा के अफ़सर बैठे हैं। असीम मुनीर जो चीफ़ है जिसकी सुनने वाले आर्मी चीफ़ में बहुत कम हैं। 

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पाकिस्तानी असीम मुनीर को छह महीने हो चुके हैं लेकिन उनका आर्मी पर वो कंट्रोल नहीं है जो होना चाहिए। इसी बात की गवाही एक ट्विटर देता है जिसको आदिल राजा नाम के एक रिटायर आर्मी अफ़सर ने शेयर किया है। आदिल राजा ने ट्वीट में खुलासा किया है कि 21  पंजाब के कमांडिंग अफ़सर लेफ़्टिनेंट कर्नल इम्तियाज़ ने, चौथी फ्रंटयिर फ़ोर्स के लेफ़्टिनेंट कर्नल आमिर, मेजर हैदर अली और मेजर सैयद अली हुसैन गिलानी ने आर्मी चीफ़ के हुक्म की नाफ़रमानी कर दी। 

जब पंजाब जल रहा था तो लाहौर जनरल सलमान गनी के कोर कमाण्डर जिन्ना हाउस में सादे लिवास में अपने घर वालों के साथ आम नोश फ़रमा रहे थे। उनके सिक्योरिटी गार्डों ने भीड़ को जिन्ना हाउस की ओर आने की ख़बर दी तो उन्होंने अपने संतरियों सहित, पूरी टुकड़ी को रास्ता छोड़ देने का हुक्म दे डाला। हुडदंगी जिन्ना हाउस को आग लगाते रहे। उसमें तोड़-फोड़ करते रहे और कोर कमाण्डर लाहौर सब कुछ अपने सामने होता हुआ देखते रहे। सोचिए- कोर कमाण्डर अपने सरकारी आवास और पाकिस्तान की शान जिन्ना हाउस की हिफ़ाज़त नहीं कर सकता वो पाकिस्तान की हिफ़ाज़त कैसे करेगा। बहरहाल, सलमान गनी को रुखसत कर दिया। केवल एक लेफ़्टिनेंट जनरल का नाम ही अभी सामने आया है। 

सवाल यह भी है कि पाक आर्मा चीफ़ की आयरन फिस्ट्स है भी या सिर्फ़ जुमला है। क्यों कि 7 लेफ्टिनेंट जनरलों को खुड्डे लाइन लगाने की ख़बरें आ रहीं थीं उनमें से सिर्फ़ एक का तबादला किया गया है।इसके अलावा उनकी आयरन फिस्ट्स का खौफ न तो इमरान खान (के चेहरे पर है और न इमरान खान को ब्लैंकेट कवर देने वाली अदालतों पर है। 

सवाल उठता है कि आर्मी चीफ़ का आयरन फिस्ट्स फ़ेस सेविंग के लिए बोला गया है या फिर आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने (Pakistan का सियासी Don) के आगे सरैंडर कर दिया…है। 

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