OPS: देशभर में इन दिनों लोकसभा चुनाव चल रहा है, जिसे जीतने के लिए राजनीतिक पार्टियां एड़ी से चोटी तक जोर लगा रही हैं। भारत में पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को होना है। वैसे देशभर में 7 चरणों में चुनाव कराया जाएगा, जिसे नतीजे 4 जून को जारी होंगे। इससे पहले सभी राजनीतिक पार्टियां लोकलुभावन वादों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटी हैं।
इस बीच पुरानी पेंशन बहाली को लेकर भी चर्चा गर्म हैं। तमाम कर्मचारी संगठन अभी इसी बात पर अड़े हैं कि सरकार हमारे लिए पुरानी पेंशन को बहाल करें, जिससे तमाम दिक्कतों का समाधान हो सकेगा। इतना ही नहीं कर्मचारी संगठन एक्टिव मोड में हैं। केंद्रीय कर्मचारी संगठनों के अनुसार, करीब 85 लाख केंद्रीय एवं राज्य सरकारों के कर्मियों का आंदोलन जारी रहेगा। सभी कर्मचारी चाहते हैं कि एनपीएस खत्म होना चाहिए, जिससे किसी तरह की परेशानी नहीं हो किसी भी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन बहाली को शामिल नहीं किया है।
पुरानी पेंशन बहाली पर कर्मचारियों का आंदोलन रहेगा जारी
पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सरकारी कर्मचारियों का आंदोलन जारी रहने वाला है। कर्मचारी वर्ग इस बात से भी सख्त नाराज हैं कि किसी पार्टी ने पुरानी पेंशन बहाली जैसे मुद्दे को घोषणा पत्र में जगह नहीं दी है। कर्मचारियों ने इसे बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। पार्टी ने एनएमओपीएस को आश्वासन दिया था कि ओपीएस को घोषणा पत्र में जगह मिलेगी।
कर्मचारियों ने बताया कि इस आंदोलन को अब और भी तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने कहा, नाम कुछ भी रखो, कर्मियों को गारंटीकृत पेंशन सिस्टम चाहिए। उन्होंने कहा कि एनपीएस को ओपीएस में बदला जा सकता है। केंद्र सरकार, एनपीएस को स्क्रैप करे तो ठीक, नहीं तो ओपीएस में बदल दे।
कांग्रेस को लेकर कही बड़ी बात
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रामलीली मैदान में ओपीएस पर बड़ी रैली करने वाले विजय कुमार बंधु कहते हैं कि खुद खुद कई कांग्रेसी नेताओं को यह भरोसा नहीं था कि पार्टी के घोषणा पत्र में ओपीएस को जगह नहीं मिलेगी। ज्यादातर नेता यह मानकर चल रहे थे कि कांग्रेस पार्टी, पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा घोषणा पत्र में शामिल जरूर करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। ओपीएस को घोषणा पत्र में शामिल न करना, इसका पार्टी को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।