नई दिल्ली- Chandrayaan-3 का चांद से दक्षिण ध्रुव इलाके में एक हफ्ता हो गया है। इन 7 दिनों में चंद्रयान 3 में क्या-क्या खोजा? ऑक्सीजन मिला? सल्फर मिला? तापमान में भयानक बदलाव मिला? इनके अलावा कौन-कौन सी हैरान करने वाली बातें पता चली? जो भी खोज हुई उसका भविष्य में कैसा फायदा हो सकता है।
बता दे कि चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव इलाके में 23 अगस्त 2023 को लैंडिंग की थी। आज उसने चंद्रमा पर एक हफ्ता बीटा लिया है। यानी चांद का आधा दिन उसने पूरा कर लिया है। इस दौरान विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने कई शानदार खोज किए। और कई बातें निकाल कर नई सामने आई है।
इन चीजों से भविष्य में इंसानी बस्ती बसाने में क्या मदद मिलेगी। अभी लैंडर और रोवर दोनों में लगे यंत्र अपना-अपना काम कर रहे हैं। नए-नए डाटा जारी कर रहे हैं आईए जानते हैं। की सबसे शानदार खोज कौन सी हुई है।
प्रज्ञान रोवर ने 29 अगस्त 2023 की रात या खुलासा किया है। कि चांद के दक्षिणी ध्रुव के इलाके में ऑक्सीजन है।यह काम उसमें लगे लब्स पेलोड यानी यंत्र लेजर ने पता किया है। इस यंत्र को सिर्फ चंद की सतह पर मौजूद खनिजों और रसायनों की खोज और पुष्टि के लिए भेजा गया है।
LIBS चांद की सतह पर लेजर किरणों फेक कर उसे निकालने वाले प्लाज्मा का एनालिसिस करता है। यह लेजर किरणें बेहद अधिक तीव्रता के साथ पत्थर या मिट्टी पर गिरती है इससे वहां पर बेहद गर्म प्लाज्मा पैदा होता है। ठीक वैसा ही जैसा सूरज की तरफ से आता है प्लाज्मा से निकलने वाली रोशनी या बताती है। की सतह पर किस तरह के खनिज्य रसायनों की मौजूदगी है।
ऑक्सीजन मिल गया है। हाइड्रोजन की खोज जारी यह दोनों मिलकर पानी बना सकते हैं।यानी चांद पर इंसानों की बस्ती बसाने के लिए इन दोनों की जरूरत पड़ेगी। यही चांद पर जीवन स्थापित करेंगे।
विक्रम लैंडर में लगे खास थर्मामीटर ने बताया था कि चांद की सतह के ऊपर और सात के 10 सेंटीमीटर नीचे यानी करीब 4 इंच नीचे तक का तापमान में बड़ा अंतर है लैंडर में लगे चेस्ट पेलोड ने यह काम किया था चांद की ऊपरी सतह पर तापमान 50 से अधिक 60 डिग्री सेल्सियस के बीच दिखाया था वही 4 इंच जमीन के नीचे पर – 10 डिग्री सेल्सियस पर था।