नई दिल्लीः संसद से हिट एंड रन पर पारित हुआ नया नया कानून अब देशभर में विरोध करने की वजह बना हुआ है। इसे लेकर देशभर में ट्रक ड्राइवर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं, जो लगातार सरकार से नया कानून वापस लेने की अपील कर रहे हैं। भारत में कई बड़े बड़े मार्ग पर जाम जैसे हालात बने हुए हैं, जो आंदोलन अब उग्र भी होता जा रहा है।
नए कानून से गुस्साएं ड्राइवर जगह-जगह आगजनी कर सरकार से विरोध जता रहे हैं। वैसे केंद्र सरकार ने हिट एंड रन कानून को सभी के लिए कारगर बताया है। अब ऐसे में हम आपको इस कानून की बारीकियां विस्तार से बताने जा रहे हैं जिसके लिए आप हमारा आर्टिकल ध्यान से पढ़ लें, जहां आपके सभी कंफ्यूजन दूर हो जाएंगे।
हिट एंड रन पर क्यों हो रहा विरोध
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा संसद में हिट एंड रन पर बनाए गए नए कानून को देशभर में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। नए कानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति चौपहिया वाहन से टकराता है और ड्राइवर बिना पुलिस को सूचना देकर भागता है तो फिर उसे 10 साल की सजा का प्रावधान बनाया गया है। इसके अलावा 7 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा, जिसके बाद वाहन ड्राइवररों में रोष है, जो देश के सभी राज्यों में अलग-अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ड्राइवरों की मांग है कि सरकार इस कानून को वापस लें, नहीं तो अनिश्चितकालीन तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
सालाना सड़क दुर्घटना में इतने लोगों की चली जाती है जान
सरकार रिपोर्ट्स के आकंड़ों की बात करें तो प्रति वर्ष सड़क दुर्घटना में करीब 50 हजार लोगों को जान चली जाती है। हिट एंड रन कानून के नियम वाहन चालक या मालिक पर ही नहीं बल्कि निजी वाहनों वालों पर भी समान रूप से लागू किए जाएंगे। आप चाहे किसी भी कार, बाइक या फिर स्कूटर पर क्यों ना हों। इसके देखते हुए हरियाणा, दिल्ली, यूपी, एमपी बिहार सहित कई राज्यों में ड्राइवरों ने चक्का जाम कर दिया है। इससे यातायात काफी प्रभावित हो रहा है। अगर सरकार ने कोई बीच का रास्ता नहीं निकाला तो फिर आने वाले दिनों में आयात रुकने से खाद्य पदार्थों की कीमतें काफी बढ़ सकती हैं।
कानून के पीछे सरकार का तर्क
गृहमंत्री अमित शाह ने संसद को जानकारी देते हुए कहा कि नए कानून में सरकार हिट एंड रन के मामलों में सख्त प्रावधान ला रही है। नए कानून के तहत यहिक किसी की गाड़ी से सड़क पर कोई टकरा जाता है तो ड्राइर पीड़ित की मदद करने की बजाय भाग जाते हैं, लेकिन अब उसकी सहायता करनी होगी।
वाहन चालक को पीड़ित की मदद करने होगी, उसे अस्पताल में भर्ती कराने के साथ पुलिस को सूचना देनी होगी। पीड़ित को अस्पताल पहुचाने के लिए सरकार की ओर से कुछ राहत भी दी जाएगी। आईपीसी में अब तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। इसके साथ ही ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री के जानकार इसका विरोध कर रहे हैं। ट्रांसपोर्ट्स का तर्क है कि पीड़ित को मदद पहुंचाने के लिए वाहन ड्राइवर मौके पर होगा तो स्थानीय भीड़ उसे जान से मार देगी।