Jahandar Shah जो कभी नंगे तो कभी स्त्रियों के कपड़े पहन लगाता था दरबार, फिर एक दिन ऐसे हो गया अंत! 

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नई दिल्ली: मुगल सल्तनत (Mughal Empire) में ऐसी कहानियों प्रचलित हैं, जिनके बारे में सुन और पढ़कर यकिन नहीं होता है, कि इतिहास में ऐसे-ऐसे मुगल सल्तनत के राजा हुए जो कामकाज के लिए जानें जाते रहे है, फिर चाहें ये काम सही हो या फिर गलत यहां तक की घिनौनें भी। इतिहास के पन्नों को देखें तो  साल 1712 में बहादुर शाह (प्रथम) के निधन के बाद मुगल सल्तनत के लिए उनके बेटों के बीच लड़ाई शुरू हो गई। आखिरकार जहांदार शाह (Jahandar Shah) को सफलता मिली और मुगल सल्तनत (Mughal Empire) की गद्दी पर बैठा। जहांदार शाह (Jahandar Shah) अपनी अय्याशियों और रंगीन-मिज़ाजी के लिए बदनाम था। मुगल साम्राज्य की गद्दी संभालते ही एक तरीके से उसने पूरी सत्ता लाल कुंवर को सौंप दी, जो उसकी कनीज (रखैल) थी।

मुगल सल्तनत (Mughal Empire) में ऐसे-ऐसे शासक हिए तो जो दरबार में अपनी ऊल-जलूल हरकतों के लिए प्रसिद्ध थे । मन चाहे कानून बनाने व उनको तोड़ने में तनिक भी देर नहीं लगाता था । तो वही जहांदार शाह (Jahandar Shah) के बारे में अजीव कहानी है।

कनीज (रखैल) के वश में हो गया जहांदार शाह (Jahandar Shah)

बताया जाता है कि, लाल कुंवर, मुगल दरबार के गायक खासुरैत खान की की बेटी थी, जो मियां तानसेन के घराने का था। वही लाल कुंवर, जहांदार शाह से उम्र में लगभग दोगुनी। वह अपनी खूबसूरती और नृत्य के लिए मशहूर थी। दिल्ली और मुगल इतिहास में बताते हैं कि, कि लाल कुंवर ने पूरी तरीके से जहांदार शाह को अपने वश में कर लिया था।

वही इसके आगे बताया जाता है कि जहांदार शाह ने सत्ता संभालते ही लाल कुंवर को अपनी रानी का दर्जा दे दिया और ‘इम्तियाज मुगल’ का तमगा प्रदान कर दिया। उसका ज्यादातर समय लाल कुंवर की शोहबत में बीतने लगा। लाल कुंवर ने इसका फायदा उठाया एक-एककर तमाम ताकतवर पदों पर अपने रिश्तेदारों को नियुक्त करवा दिया। जिससे जहांदार शाह के हाथों में बागडोर कमजोर होने लगी है। 

लालकुंवर को जहांदार शाह के दोनों बेटो से नफरत थी। इसलिए उसके कहने पर जहांदार शाह ने अपने दोनों बेटों की आंखें फोड़कर उन्हें कैदखाने में डलवा दिया था।

जो कभी नंगे तो कभी स्त्रियों के कपड़े पहन लगाता था दरबार

जहांदार शाह कभी पूरी तरह नंगे होकर दरबार में जाने लगा तो कभी महिलाओं के कपड़े पहनकर दरबार लगाने लगा। जहांदार शाह की इन्हीं हरकतों की वजह से उसका नाम ‘लंपट’ पड़ गया और उसे मुगल इतिहास का सबसे मूर्ख बादशाह कहा जाने लगा।

जहांदार शाह का फिर एक दिन ऐसे हो गया अंत

Jahandar Shah महज 9 महीने ही मुगल साम्राज्य की गद्दी पर रह पाया और उसके भतीजे फर्रूखसियर (Farrukhsiyar) ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बताया जाता है कि मुगल काल ये Jahandar Shah एक आयोग्य शाशक था है, जो 6 जनवरी 1713 को हार के बाद वह, लाल कुंवर के साथ भागकर दिल्ली में शरण ली। यहां उसे कैद कर लिया गया और बाद में कैदखाने में ही बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था।

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