पहले इंदिरा,फिर सोनिया गांधी…जब सत्ता के लिए बागी हुए थे शरद पवार,ऐसे पड़ी थी NCP की नीवं.. देखिए

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नई दिल्ली- महाराष्ट्र की राजनीति ने कल अपना रूप बदल लिया है। एनसीपी चीफ शरद पवार इस समय चर्चा में आ गए है। वजह भी खास है शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने एनसीपी पार्टी को तोड़ दिया है। और अपने वरिष्ठ नेताओं और विधायकों के साथ में बीजेपी गठबंधन में शामिल हो गए जिसके बाद अलग अलग तरीके की बातें निकल कर सामने आ रही है। इससे पहले भी शरद पवार के पोलिटिकल कैरियर में तोड़फोड़ और बगावत का रिकॉर्ड दर्ज है। उन्होंने 1978 में मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस से बगावत की थी तब जनता पार्टी के समर्थन में पवार 38 साल की उम्र में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।


2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार को अपने ही घर से बड़ा झटका मिला है। उनके भतीजे अजित पवार ने एनसीपी से बगावत कर दी है। और बीजेपी शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं। अजित पवार को शिंदे सरकार ने पार्टी में शामिल कराने के बाद उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया है। उनके साथ आठ अन्य एनसीपी नेताओं को मंत्री बनाया गया है। अजीत गुट का दावा है कि उनके समर्थक में 40 विधायक हैं। अजीत के विद्रोह से शरद पवार की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ गई है। और वह वेट एंड वॉच की पोजीशन में आ गए है।

बता दें कि 82 साल के पवार 50 साल से ज्यादा समय से राजनीति में सक्रिय उन्होंने राजनीति में कई उतार-चढ़ाव भी देखें साल 1967 में वह 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने थे 32 साल की उम्र में पहली बार सीएम बन गए 45 साल पहले शरद ने 20 सप्ताह के लिए बगावत कर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली थी उन्होंने अपने पोलिटिकल कैरियर की शुरुआत कांग्रेस से की लेकिन दो बार उनके खिलाफ गए और सत्ता में आए पहली बार 1978 में और दूसरी बार 1999 में।


आइए जानते हैं कौन कौन से दो घटनाक्रम है जिनको लेकर शरद पवार हमेशा से चर्चा में रहे है।

अब हम आपको बताते हैं शरद पवार गेम की 1978 की कहानी साल 1977 में आम चुनाव के बाद कांग्रेस दो गुटों में बट गया। नाम रखा गया कांग्रेस (I)और कांग्रेस (U)शरद पवार भी बगावत का बड़ा हिस्सा बन चुके थे। कांग्रेस U में शामिल हो गए थे। उसके बाद 1978 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव आया और दोनों गुट एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरे थे। बीच जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और 99 सीटों पर जीत हासिल की जबकि कांग्रेस I ने 62 और कांग्रेस u ने 69 सीटों पर जीत दर्ज की थी। किसी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिली। राज्य में जनता पार्टी ने सरकार बनाने के लिए संभावनाएं तलाशी लेकिन जनता पार्टी को रोकने के लिए I और U ने गठबंधन कर लिया और सरकार बना ली।यह सरकार डेढ़ साल से ज्यादा चली बाद में जनता पार्टी में फूट पड़ गई। और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।

राजीव गांधी के करीब आए और फिर बन गए सीएम

कुछ महीने बाद शरद पवार ने कांग्रेस U से बगावत की और जनता पार्टी के साथ मिल लिया।जनता पार्टी के समर्थन में शरद पवार 38 साल की सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बने। तब देश की राजनीति में इंदिरा गांधी सक्रिय थी 1977 की इमरजेंसी के बाद कांग्रेस बुरे दौर से गुजर रही थी। हालांकि साल 1980 में इंदिरा गांधी सरकार की वापसी हुई तो पवार की सरकार बर्खास्त कर दी गई। बाद में 1986 में पवार कांग्रेस में शामिल हो गए तब कांग्रेस की कमान राजीव गांधी के हाथों में थी और वह देश के प्रधानमंत्री थे उसी दिनों बाद पवार फिर गांधी परिवार के करीब आ गए और 26 जून 1988 में शंकरराव की जगह सीएम की कुर्सी मिल गई पवार 26 जून 1988 से लेकर 25 जून 1991 के बीच दो बार मुख्यमंत्री बने थे।

सोनिया गांधी के विरोध के अस्तित्व में आई एनसीबी

साल था 1999 का। तारीख थी 15 मई कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी की बैठक की शाम को बैठक होने के पहले अचानक शरद पवार पिए संग्रामा और तारिक अनवर की तरफ से विरोध के सुर सुनाई दिए संगमा ने कहा सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा बीजेपी लगातार उठा रही है यह सुनना सोनिया के लिए उतना हैरानी भरा नहीं था जितना बागले व्यक्ति की आवाज सुनकर हुई या कोई और नहीं शरद पवार थे जिन्होंने तुरंत ही हंगामा की बात का समर्थन किया और अपनी हल्की मुस्कुराहट आवाज से पहले तो संगठन में एकता लाने के लिए सोनिया गांधी की तारीफ की और फिर तुरंत ही असली लाइन में प्रवचन चिन्ह उछाल लिया।

कांग्रेस से निकाला तो किया एनसीपी का गठन

शरद पवार ने कहा कांग्रेस आप के विदेशी मूल के बारे में बीजेपी को जवाब नहीं दे सकती है। इसी पर गंभीरता से विचार की जरूरत है इसी तरह साल 1999 में शरद पवार पिए संगामा और तारिक अनवर ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का विरोध किया और उसके बाद तीनों नेताओं को पार्टी से निकाल दिया गया महज 10 दिन बाद ही तीनों ने मिलकर 25 मई 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी का गठन कर डाला।

उसी साल एनसीपी का पहला विधानसभा चुनाव लड़ा पार्टी ने राज्य की 288 सीटों में 223 पर उम्मीदवार खड़े किए इस चुनाव में एनसीपी ने 58 सीटें जीती किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला 75 सीट जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन गई शरद ने एक बार फिर पलटी मारी और साल 1999 में कांग्रेस से गठबंधन किया और राज्य में सरकार बना ली कांग्रेस के विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री बने एनसीपी के छगन भुजबल डिप्टी सीएम बने लगातार 15 साल तक महाराष्ट्र में एनसीपी कांग्रेस गठबंधन की सरकार रही वहीं पवार 2004 से 2014 तक लगातार केंद्र की यूपीए सरकार में मंत्री भी बने रहे।

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