नई दिल्ली: अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार के खिलाफ किसानों ने एक बार फिर आंदोलन करना शुरू कर दिया है। किसान धीरे-धीरे बड़ी संख्या में दिल्ली बॉर्डर की तरफ पहुंचने शुरू हो गए हैं। दिल्ली बॉर्डर को किसान कूच ना कर पाएं, जिसके लिए पुलिस ने कड़े चाक चौबंद इंतजाम किए हैं।
मंगलवार को हरियाणाण पुलिस और किसानों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। नोकझोंक भी ऐसी कि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। प्रदर्शनकारी बुधवार दूसरे दिन भी प्रदर्शन जारी रखेंगे। हरियाणा पुलिस ने आंदोलनकारी किसानों को रोकने के लिए अथक प्रयास किए। इतना ही नहीं हल्का लाठीबल के साथ-साथ आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन का भी प्रयोग किया। इस बीच पंजाब के किसान दिल्ली चलो अभियान पर अड़े हैं, जहां पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है। इतना ही नहीं हरियाणा के कई हिस्सों में इंटरनेट को बैन कर दिया गया है।
दिल्ली पुलिस ने भी बैरिकेड्स लगाए
न्यूनतम समर्थन मूल्या की गारंटी देने वाले कानून के लिए डटे किसानों को तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस ने काफी कोशिश की। दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली किसानों का विरोध मार्च को रोकने वाले बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश भी की गई है।
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक, प्रर्शनकारियों द्वारा पथराव किए जाने से एक पुलिस उपाधीक्षक समेत चौबीस पुलिसकर्मी घायल हो गए। किसान नेताओं ने कहा कि पुलिस ने रबर की गोलियां भी चलाईं और दावा किया कि हरियाणा के अंबाला शहर के करीब शंभू सीमा पर उन पर हमले में 60 से अधिक प्रदर्शनकारी घायल बाए जा रहे हैं।
जानिए क्या है किसानों की मांग
राज्य में कई किसान संगठन- ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग के लिए आज अपना विरोध मार्च शुरू करने वाले हैं। उन्होंने तब निर्धारित की थी जब वे अब के खिलाफ अपना आंदोलन वापस लेने पर सहमत हुए थे।
सरकार ने साल 2021 में कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला किया था। इसके अलावा, वे स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय” की भी मांग कर रहे हैं।