नई दिल्ली- सनातन धर्म को लेकर पूरे देश में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से विधायक सांसद प्रवक्ता सब हमलावर है। वही अब डीएमके को इस पूरे सनातन धर्म के विवाद में फायदा होगा या नुकसान होगा। आज हम आपको बताते हैं कि सनातन धर्म के विवाद का क्या परिणाम होने वाला है। और क्या इंडिया गठबंधन के लिए यह चिंता है या फिर कुछ और जानिए नीचे खबर में
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री सीएम स्टालिन के बेटे उदय निधि के बयान पर पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है। विवाद छिड़ा हुआ है। जिसे आप समाज सुधारक कहते हैं। वही सनातन धर्म के विरोध में खुलकर बोल रहा है। यही नहीं ऐसी कई चीज निकल कर सामने आई जिसको लेकर पूरा देश उदय निधि पर सनातन विरोधी का आरोप लगा रहा है। वही उदय निधि को लेकर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अलग-अलग बयान आ रहे है।
जानकारी के लिए आपको बता दे की उदय निधि की तरफ से एक भाषण देते समय सनातन धर्म को लेकर बड़ा बयान दिया गया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि यह धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है आगे कहा था हम डेंगू मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते है हमें इसे मिटाना है। इसी तरह हम सनातनी को भी मिटाना चाहते हैं और इसे हमें मिटाना है। इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी समेत देश के सभी नेताओं में उदय निधि को लेकर जबरदस्त विरोध है।
अब इस बयान को लेकर बीजेपी से मुद्दा बनाकर हिंदुओं को अपमान करने का आरोप लगाया है। लेकिन तमिलनाडु में इसको लेकर उतना हंगामा नहीं देखने को मिल रहा है। इसकी वजह राज का संस्कृत स्वभाव है।
हम आपको बता दें कि तमिलनाडु में इसे लेकर इतना बड़ा मुद्दा नहीं बनाया गया क्योंकि बीजेपी की मिली जुली राय का कहना है। कि राज्य में इसका बड़ा मुद्दा बनाने का कोई फायदा नहीं होगा। लेकिन कुछ नेताओं को लगता है कि अब इससे माहौल बदल सकता है। और इसको लेकर मुद्दा बनाया जाना चाहिए कुछ लोग इसको लेकर नाराज है। कि उदय निधि के बयान को हवा देकर उनको फ्री का प्रचार दिया जा रहा है।