भारत की 80% ग्लूकोमा के मरीजों का पता नहीं, जाने इस ख़तरनाक बीमारी के बारे में

By

Health Desk

ग्लूकोमा भारत में एक चिंताजनक स्वास्थ्य समस्या बन गई है, लेकिन इसके मामलों का बड़ा हिस्सा लोगों को पहचानने में कठिनाई हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में ग्लूकोमा के 80% मामले अज्ञात रहते हैं, जिससे लोग बिना सही समय पर उपचार के लिए पहुंचे हैं। ग्लूकोमा एक आँखों की बीमारी है जिसमें आंख की दृष्टि को धीरे-धीरे खोने का खतरा होता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि नियमित आंखों की जांच इस समस्या को पहचानने में महत्वपूर्ण है। बड़ी संख्या में मामलों की अनदेखी के बावजूद, यह बीमारी व्यक्ति की जिंदगी में बड़े परिवर्तन का कारण बन सकती है। इसलिए, समाज को इस खतरनाक समस्या के बारे में जागरूक करना और नियमित आंखों की जांच की आदत बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  • जनसंख्या की बढ़ती गुंथाईं: भारत में ग्लूकोमा से निपटने की चुनौती में से एक बड़ी चुनौती यह है कि नियमित आंखों की जांच की अभाव के कारण लोग इस समस्या को पहचानने में विफल रह रहे हैं। खासकर गरीब आबादी और ग्रामीण क्षेत्रों में इस चुनौती का सामना करना और सही समय पर उपचार प्राप्त करना और भी कठिन हो रहा है।
  • जागरूकता की कमी: इस समस्या से निपटने के लिए जनसंख्या में आंख से जुड़ी बीमारी के प्रति जागरूकता की कमी है। लोगों में आंख संबंधित समस्याओं के लक्षणों की सही पहचान और उसके उपचार के लिए उचित जागरूकता की आवश्यकता है।
  • दिनचर्या में बढ़ती दिक्कतें: ज्यादातर लोग अपनी आधुनिक दिनचर्या में आंखों की सही देखभाल का पूरा ध्यान नहीं देते हैं, जिससे आंख से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
  • देशभर में रोगीयों की संख्या में वृद्धि: दिल्ली आई सेंटर और सर गंगा राम अस्पताल के विशेषज्ञों के अनुसार, ग्लूकोमा के मरीजों की संख्या में देशभर में वृद्धि हो रही है। इससे सिरदर्द, धुंधली दृष्टि और अन्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।
  • नियमित आंखों की जांच का महत्व: ग्लूकोमा के खिलाफ सफल संघर्ष के लिए नियमित आंखों की जांच आवश्यक है। जल्दी में निदान और उपचार से इस समस्या का सही समाधान संभव है।

समस्या को गंभीरता से लेकर, सही जागरूकता और नियमित आंखों की जांच के माध्यम से ही ग्लूकोमा से निपटा जा सकता है। लोगों को समय समय पर आंखों की स्वास्थ्य जांचवाने के लिए प्रेरित करना और जागरूक करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

ग्लूकोमा के बढ़ते मामलों के साथ, नई दिल्ली के आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेलमिक साइंसेज के रोहित सक्सेना ने बताया है कि इस रोग में ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान होता है, जिससे आंखों से ब्रेन तक इमेज लेने की क्षमता में कमी हो सकती है। इससे अंधापन की समस्या बढ़ सकती है, जिसमें अवसाद और चिंता भी शामिल हो सकती है। बढ़ती उम्र के साथ ग्लूकोमा होने की संभावना बढ़ जाती है, और जेनेटिक्स और फैमिली हिस्ट्री इसमें अहम भूमिका निभाते हैं। इस रोग की पहचान और सही समय पर उपचार बहुत महत्वपूर्ण है, जो लोगों को अंधेपन की समस्या से बचाने में मदद कर सकता है।

Health Desk के बारे में
For Feedback - timesbull@gmail.com
Share.
Install App