Congenital Heart Disease: हृदय रोग का मुख्य कारण खराब जीवनशैली की आदतें मानी जाती हैं। कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण लोगों को हृदय संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कई बार आनुवंशिक कारणों से भी लोग हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित हो जाते हैं। कुछ बच्चे हृदय की संरचना में दोष के साथ पैदा होते हैं जिन्हें जन्मजात हृदय दोष कहा जाता है। आइए जानते हैं, क्या है कंजेनिटल हार्ट डिजीज और किन लक्षणों की मदद से इसकी पहचान की जा सकती है।
क्या होता है कंजेनिटल हार्ट डिजीज?
जन्म के समय शिशु के हृदय के आकार या संरचना में असामान्यता होती है, जिसे जन्मजात हृदय दोष कहा जाता है। क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, जन्मजात हृदय दोषों में हृदय में छेद, हृदय की रक्त वाहिकाओं की समस्याएं और हृदय वाल्व की समस्याएं शामिल हैं। अक्सर इसके लिए किसी विशेष समस्या से निपटने की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन कुछ मामलों में स्थिति घातक हो सकती है, इसलिए इसका तुरंत इलाज करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह हृदय रोग आमतौर पर जन्म से पहले या जन्म के तुरंत बाद पता चलता है, लेकिन कभी-कभी बहुत बाद में।
क्या हैं इसके लक्षण?
- त्वचा या होठों का नीला पड़ना
- ब्लड सर्कुलेशन में समस्या होना
- असामान्य तरीके से ब्लड फ्लो होना, जिस कारण से दिल से अजीब आवाज आती है
- थकान खासकर किसी भी शारीरिक गतिविधि की वजह से
- सांस लेने में तकलीफ होना या तेज-तेज सांसे आना
- अधिक नींद आना
- चेहरे, पैर या पेट में सूजन होना
- खाने-पीने में दिक्कत होना, जिस कारण से ठीक से विकास न हो पाता है
क्या होते हैं इसके कारण?
- गर्भावस्था के दौरान या उससे पहले मधुमेह होने से बच्चे के हृदय पर असर पड़ सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
- गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान और शराब पीने से भी आपका बच्चा जन्मजात हृदय दोष का शिकार हो सकता है।
- जेनेटिक कारणों की वजह से भी बच्चे में यह कंडिशन हो सकती है।
- कई बार कुछ दवाइयों के प्रभाव की वजह से भी बच्चे के दिल में समस्याएं हो सकती हैं।
- प्रेग्नेंसी के दौरान रूबेला होना, बच्चे में कंजेनिटल हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ा देता है।
क्या कंजेनिटल हार्ट डिजीज वयस्कों को प्रभावित कर सकता है?
यद्यपि जन्मजात हृदय रोग जन्म के समय हृदय की संरचना का एक विकार है, जन्मजात हृदय रोग वयस्कों को भी प्रभावित कर सकता है। अक्सर इस स्थिति को बचपन में पहचाना नहीं जा पाता है, इसलिए यह समस्या वयस्कों में होती है, और कभी-कभी उपचार के बाद फिर से उभर आती है। कुछ प्रकार की जन्मजात बीमारियाँ ज्यादा खतरनाक नहीं होती हैं, लेकिन कुछ जानलेवा होती हैं। इसलिए, सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।