नई दिल्ली Reserve Bank of India: देश में ऐसे कई बैंक हैं जिनके डूबने का खतरा नहीं उठा सकते हैं। यानि कि इनको कुछ हुआ तो सरकार ने खुद बचाने का प्रयास करेगी। इस साल 2023 में एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी ने अपनी अहमियत को सबित की है और आरबीआई ने इनको टू बिग टू फेल की कैटेगरी में रखा गया है।
ये बैंक डोमेस्टिक सिस्टमैटिकली बैंक्स हैं यानि कि घरेलू सिस्टम के लिए काफी जरूरी हैं। बहराल अब जरूरी बदलाव ये हैं कि आईसीआईसीआई बैंक की पोजिशन में बदलाव नहीं हुआ है। लेकिन बाकी के बैंक का लेवल भी बढ़ा है यानि कि हाई लेवल पर काम कर रहे हैं। ये नियम 1 अप्रैल से लागू होगा।
1 अप्रैल से क्या होगा बदलाव
बता दें घरेलू सिस्टम के लिए जरुरी बैंकों को एडीशनल इक्विटी टियर-1 मेंटेन करना होता है। आरबीआई की नई प्रेस रिलीज के अनुसार, एसबीआई को रिस्क वेटेड एसेट्स के फीसदी के रूप में एक्स्ट्रा 0.80 फीसदी सीईटी1 के रूप में रखना होगा।
वहीं एचडीएफसी बैंक को एक्स्ट्रा 0.40 फीसदी और आईसीआईसीआई बैंक को एक्स्ट्रा 0.20 फीसदी मेंटेन करना होगा। बहराल ये लेवल 1 अप्रैल 2025 से मेंटन करना है। अभी एसबीआई के लिए ये सरचार्ज 0.60 फीसदी और एचडीएफसी बैंक के लिए 0.20 फीसदी है।
डी-एसआईबी क्या है?
ये ऐसे बैंक होते हैं जो कि सिस्टम के लिए इतने जरुरी होते हैं कि जिनके डूबने पर पूरे फाइनेंशियल सिस्टम को झटका लग सकता है। इस प्रकार के बैंको पर आरबीआई पर करीबी निगाह रहती है क्यों कि इन्हें टू-बिग-टू-फेल माना जाता है।
दुनिया भर में केंद्रीय बैंक इस तरह के बैंकों पर 2008 के वैश्विक स्तर पर नजर रखने लगे थे। आरबीआई ने पहली बार इसका फ्रेमवर्क 22 जुलाई 2014 को जारी किया था। इसके तहत 2015 से आरबीआई को डी-एसआईबीएस का खुलासा करना होता है। यानि कि सिस्टम के लिए जरुरी बैंकों के बारे में बताना होता है फिर उनकी महत्ता के हिसाब से उचित बकेट में रखना होता है।