किस बीमारी की चपेट में आएंगे आप, बताता है आपका जन्म नक्षत्र

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Santy

ज्योतिष शास्त्र में ग्रह नक्षत्रों (Nakshatra) का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हर व्यक्ति का जन्म किसी एक नक्षत्र (Constellation) में होता है। उस नक्षत्र का व्यक्ति के जीवन पर पूरा प्रभाव देखने को मिलता है। कई बार व्यक्ति आनुवांशिक बीमारियों का भी शिकार होता है, लेकिन अगर ऐसा नहीं भी है अपने जन्म नक्षत्रों को अशुभ प्रभाव के कारण कई तरह की बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। यहां हम आपके नक्षत्र और उनसे होने वाली बीमारियों के बारे में बता रहे हैं। आइए जानते हैं किसी नक्षत्र में जन्म होने से कौन सी बीमारियां होती हैं, और उससे बचाव के क्या उपाय हैं।

नक्षत्र, उनसे होने वाली बीमारियां और उपाय

अश्विनी नक्षत्र

अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक अनिद्र, मतिभ्रम, ज्वर आदि के शिकार हो सकते हैं। ये बीमारी कुंडली में मौजूद ग्रहों के आधार पर 1, 9 या 25 दिनों तक रह सकती है।

उपाय – अश्विनी नक्षत्र के देवता की पूजा करें।

भरणी नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को शारीरिक दर्द, ज्वर, कमजोरी, आलस्य आदि की संभावना होती है। उन्हें यह बीमारी 11, 21 या 30 दिनों तक रह सकती है।

उपाय – भरणी नक्षत्र के देवता की पूजा करें और गरीबों की मदद करें।

कृत्तिका नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्में जातकों को नेत्र रोग, चक्कर आना, जलन, अनिद्रा, पेट दर्द, गठिया और ह्रदय रोग होने की संभावना होती है। उन्हें ये बीमारियां 9, 10 या 21 दिनों तक रह सकती है।

उपाय – अग्नि देवता की पूजा करें।

रोहिणी नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को सिरदर्द, ज्वर, मतिभ्रम, और अधीरता आदि जैसी बीमारियों की संभावना होती है। इस बीमारी से वे 3 से 10 दिनों तक परेशान रह सकते हैं।

उपाय – नक्षत्र के देवता की पूजा करें या आवंले या अपामार्ग की जड़ धारण करें

मृगशिरा नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों को कफ, पित्त और वात रोग के साथ ही त्वचा से जुड़ी बीमारियां और एलर्जी आदि की संभावना होती है। इससे वे तीन से नौ दिनों तक परेशान रह सकते हैं।

उपाय – चंद्रमा की आराधना करें।

आर्द्रा नक्षत्र

इस नक्षत्र के जातकों को अनिद्रा, पैर और पीठ में दर्द, वायु और स्नायुविकार के साथ ही कफ से संबंधित रोग होने का खतरा होता है। ये बीमारियों महीनों तक परेशान कर सकती हैं।

उपाय – भगवान शिव की पूजा करें। श्यामा तुलसी या पीपल की जड़ धारण करने से लाभ होगा।

पुनर्वसु नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को सिरदर्द, कमर दर्द और गुर्दे से जुड़े रोग हो सकते हैं। इस रोग का असर सप्ताह भर तक हो सकता है।

उपाय – रुद्राक्ष और पुखराज धारण करें।

पुष्य नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग आम तौर पर स्वस्थ जीवन जीते हैं, लेकिन कभी-कभार तेज बुखार हो सकता है। दर्द भी हो सकता है। यह बीमारी सप्ताह भर तक परेशान कर सकती है।

उपाय – दान-पुण्य करने से लाभ होगी। कुशा की जड़ धारण करना भी लाभकारी होगा।

आश्लेषा नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों को कमजोरी की शिकायत होती है। जल्द कोई बीमारी तो नहीं होती, लेकिन अगर होती है, तो काफी तकलीफदेह होती है। इस नक्षत्र की बीमारी 9 दिन से एक महीने तक चल सकती है।

उपाय – रुद्राक्ष औऱ पन्ना धारण करें।

मघा नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को मुंह और पेट से जुड़े रोग, वायु विकार आदि हो सकते हैं। ये बीमारी 20 दिन से लेकर 45 दिनों तक परेशान कर सकती हैं।

उपाय – रुद्राक्ष या केतु को सहयोगी रत्न धारण करें। गणेश जी की आराधन करनी चाहिए।

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों को कान से जुड़ी बीमारी, बुखार या दर्द की शिकायत हो सकती है। इस नक्षत्र का अधिकार गुप्तांग पर होता है, इसलिए गुप्त रोग हो सकते हैं। कब्ज आदि की शिकायत भी हो सकती है। इस नक्षत्र में बामारी 8, 15 या 30 दिनों तक रह सकती है। कई बार यह लंबी भी चल सकती है।

उपाय – रुद्राक्ष या सफेद पुखराज या टोपाज धारण करेंष शुक्र देव की आराधना करें।

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों को पित्त ज्वर और अस्थिभंग जैसी समस्या हो सकती है। इस नक्षत्र के प्रभाव से लिंग और गर्भाशय की तकलीफ भी हो सकती है। मधुमेह की समस्या भी हो सकती है। इस नक्षत्र में होने वाली बीमारी 7 से 15 या 27 दिन तक परेशान कर सकती है।

उपाय – सूर्यदेव की पूजा करें। रुद्राक्ष या माणिक धारण करना भी फलदायी होगा।

हस्त नक्षत्र

इस नक्षत्र में जजन्मे जातकों को पेट दर्द, भूख न लगना या अन्य बीमारी हो सकती है। हाथ से जुड़ी तकलीफ भी हो सकती है। जलजनित रोग भी हो सकते हैं। इस नक्षत्र में होने वाली बीमारी एक सप्ताह से 15 दिनों तक चल सकती है।

उपाय – चंद्रदेव का आराधना प्रभावी होगी। रुद्राक्ष औऱ मोती धारण करना लाभकारी रहेगा।

चित्रा नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों को दुर्घटना का खतरा होता है। इस नक्षत्र के प्रभाव से मस्तिष्क से जुड़ी तकलीफ यानी माइग्रेन और गुर्दे की समस्या हो सकती है। यह परेशानी 8 से 15 दिनों तक चल सकती है।

उपाय – रुद्राक्ष औऱ मूंगा धारण करना फलदायी होगा। मंगल या हनुमान जी का अराधना करें।

स्वाति नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों को जटिल रोग हो सकते हैं, जिसका जल्दी निदान नहीं होता। दांत या आंख से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है। यह परेशानी एक से लेकर दस महीने तक हो सकती है।

उपाय – रुद्राक्ष या राहु के मित्र रत्न का धारण करें। मां दुर्गा या काल भैरव की अराधना फलदायी होगी।

विशाखा नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को वायु रोग हो सकते हैं। दाहिने या बाएं भाग की भुजा में तकलीफ, कान दर्द से परेशानी हो सकती है। इस नक्षत्र की बीमारी 8 दिन से लेकर महीनों तक चल सकती है।

उपाय – रुद्राक्ष और मूंगा धारण करना अच्छा होगा। गुरु का नक्षत्र होने के कारण विष्णु जी की पूजा लाभकारी होगी।

अनुराधा नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को तीव्र ज्वर, सिरदर्द या संक्रामक रोग हो सकते हैं। इसके साथ ही हार्ट अटैक, नाक की तकलीफ भी हो सकती है। यह परेशानी 6 दिन से लेकर 40 साल तक रह सकती है।

उपाय – रुद्राक्ष या नीलम धारण करें। शनि का नक्षत्र होने के कारण शनिदेव या हनुमान जी की पूजा लाभकारी होगी।

ज्येष्ठा नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों को कंपन के साथ ही जीभ, दांत और मसूड़े से जुड़ी समस्या हो सकती है। इस नक्षत्र में हने वाली बीमारी 15, 21 या 30 दिनों तक चलती है।

उपाय- रुद्राक्ष या बुध के से जुड़ा रत्न धार करें। बुधवार को बुध से जुड़े दान करें।

मूल नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों को पेट, मुंह या आंखों से जुड़े रोग हो सकते हैं। पैर से जुड़ी परेशानी भी हो सकती है। कई बार टीबी की भी समस्या देखने को मिल सकती है। इस नक्षत्र में होने वाली बीमारी या तो जल्द ठीक हो जाती है या फिर उम्र भर बनी रहती है।

उपाय – रुद्राक्ष या केतु और चंद्रमा से जुड़े रत्न धारण करें। गणेश जी की सीधी सूड़ वाली प्रतिमा की पूजा या गणपति स्तोत्र पढ़ें।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र

यह नक्षत्र जांघ या कूल्हे से संबंधित बीमारी दे सकते है। इसके अलावा दुर्बलता और धातु से जुड़ी बीमारी हो सकती है। पथरी आदि की समस्या भी हो सकती है। इस नक्षत्र की बीमारी 15 से 20 दिन या भी कई महीनों तक रहती है।

उपाय – रुद्राक्ष या शुक्र या शनि से जुड़े रत्न धारण करें। अष्ट लक्ष्मी या वैभव लक्ष्मी की पूजा करें।

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र

इस नक्षत्र में पेट से शारीरिक दर्द की समस्या हो सकती है। यह हड्डियों से जुड़ी बीमारियों का कारक ग्रह है। दांत औऱ कान से जुडी बीमारी भी हो सकती है। ऐसे जातक 20 से 45 दिनों तक परेशान रह सकते हैं।

उपाय – रुद्राक्ष एवं माणिक के साथ सूर्य यंत्र धारण करना अच्छा होगा। सूर्य देव औऱ श्रीराम की आराधना करें।

श्रवण नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों को अतिसार, मूत्र रोग आदि हो सकते हैं. कान की तकलीफ, भूख न लगना, होठ, और त्वचा की समस्या हो सकती है। इस नक्षत्र के रोग 3 से 25 दिनों तक परेशान कर सकते हैं।

उपाय – रुद्राक्ष या चंद्र यंत्र धार करें। मां पार्वती, शीतला माता या चंद्र देव की आराधना करें।

धनिष्ठा नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों को आमाशय और गुर्दे के रोग हो सकते हैं। रीढ़ की हड्डी कमर दर्द, गठिया, यूरिक एसिड की तकलीफ हो सकती है। बीमारी एख सप्ताह से 15 दिनों तक रह सकती है।

उपाय – रुद्राक्ष और रत्न को कवच के साथ स्थापित कर घर में रखें। कार्तिकेय की आराधना उत्तम है।

शतभिषा नक्षत्र

इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों को ठोड़ी से संबंधित रोग, ज्वर, सन्निपात आदि हो सकते हैं। जहड़े और कान के साथ ही इंफेक्शन भी हो सकता है। इस नक्षत्र की बीमारी 3 से 21 या 40 दिनों तक रह सकती हैं।

उपाय – रुद्राक्ष धारण करें। राहु का नक्षत्र होने के कारण भद्रकाली की आराधना प्रभावी होगी।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र

यह नक्षत्र छाती से जुड़े रोगों का कारक है। छाती में दर्ज, इंफेक्शन, सांस की परेशानी अस्थमा के साथही दर्द , घबराहट और मानसिक रोग हो सकते हैं। इस नक्षत्र की बीमारी 2 दिन से 3 महीने तक चल सकती है।

उपाय – रुद्राक्ष एवं गुरु यंत्र को पुखराज के साथ पूजा स्थल पर स्थापित करें। पीपल वृक्ष की पूजा लाभकारी होगी।

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र

इस नक्षत्र में हड्डी से जुड़ी परेशानी हो सकती है। दांत, वात, बुखार आदि भी हो सकते हैं। बीमारी 7 से 45 दिनों तक हो सकती है।

उपाय – रुद्राक्ष या शनि की शुभ दृष्टि वाले भाव से जुड़े रत्न धारण करें। शिव शक्ति की आराधना करें।

रेवती नक्षत्र

इस नक्षत्र में मानसिक बीमारी की संभावना ज्यादा होती है। फोड़े, फुंसी, चोट जलन आधि की समस्या हो सकती है। इस नक्षत्र की बीमारी 10 दिनों से 45 दिनों तक परेशान कर सकती है।

उपाय – रुद्राक्ष और बुध के अच्छे प्रभाव वाले रत्न धारण करेंष लक्ष्मी नारायण की आराधना शुभ फलदायी होगी।

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