नई दिल्ली: दिन में रात का नजारा, आसमान में चमकता सूर्य का रहस्यमयी मुकुट, पक्षियों का गुमसुम होना और चारों ओर सन्नाटा – सूर्य ग्रहण इससे कम किसी जादू से कम नहीं! यह अनोखी खगोलीय घटना तब होती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं।
चंद्रमा, सूर्य के प्रकाश को रोक लेता है, जिससे पृथ्वी के कुछ हिस्सों में अंधेरा छा जाता है। आइए, 8 अप्रैल को होने वाले सूर्य ग्रहण के बारे में विस्तार से जानते हैं और साथ ही समझते हैं कि आखिर सूर्य ग्रहण के कितने प्रकार होते हैं।
तीन तरह के सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण एक नहीं, बल्कि तीन प्रकार के होते हैं, जिनमें से प्रत्येक अपने आप में खास है:
पूर्ण सूर्य ग्रहण: यह सबसे नाटकीय और दुर्लभ ग्रहण है। इसमें चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है, जिससे पृथ्वी पर कुछ मिनटों के लिए रात जैसा अंधेरा छा जाता है। आसमान में तारे चमकने लगते हैं और तापमान में भी गिरावट आती है। अप्रैल 8 को होने वाला सूर्य ग्रहण पूर्ण ग्रहण है और इसे अमेरिका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा।
आंशिक सूर्य ग्रहण: इस ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के केवल एक हिस्से को ढक लेता है, जिससे सूर्य अर्धचंद्राकार दिखाई देता है। यह आम तौर पर अधिक क्षेत्रों में दिखाई देता है और उतना नाटकीय नहीं होता जितना पूर्ण ग्रहण।
वलयाकार सूर्य ग्रहण: इस दुर्लभ ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के केंद्र को तो ढक लेता है, लेकिन चूंकि वह पृथ्वी से दूर होता है, इसलिए सूर्य का बाहरी भाग एक अग्नि-वलय की तरह चमकता रहता है। यह आश्चर्यजनक दृश्य कुछ ही मिनटों तक रहता है।
8 अप्रैल को पूर्ण सूर्य ग्रहण
अगला पूर्ण सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल, 2024 को अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। यह वैज्ञानिकों के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि सूर्य अपनी सबसे अधिक गतिविधि वाले चक्र में है। इस दौरान वैज्ञानिक सूर्य के कोरोना का गहन अध्ययन कर सकेंगे, जो आमतौर पर सूर्य के प्रकाश से ढका रहता है। यह आशा की जाती है कि इससे हमें सौर तूफानों और अंतरिक्ष मौसम को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण?
दुर्भाग्य से, अप्रैल 8 का पूर्ण सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। हालांकि, आप इसे ऑनलाइन लाइव स्ट्रीम के माध्यम से देख सकते हैं। कई वेबसाइट और यूट्यूब चैनल लाइव प्रसारण की पेशकश करेंगे।
सूर्य ग्रहण: मानव जाति का आकर्षण सदियों पुराना
सूर्य ग्रहण प्राचीन काल से ही मानव जाति को मोहित करता रहा है। कई संस्कृतियों में इसे अलौकिक घटना माना जाता था और इसके बारे में कई मिथक और कहानियां प्रचलित हैं। आज भी, सूर्य ग्रहण विज्ञान और खगोल विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है और साथ ही प्रकृति की अद्भुत शक्ति का एक झलक भी है।