Mirror Vastu Tips : वास्तु शास्त्र में शीशे की दिशा का काफी महत्व है। शीशे की दिशा और स्थान घर की ऊर्जा और वातावरण पर प्रभाव डाल सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, शीशे को उच्च स्थानों पर स्थापित करना शुभ माना जाता है। आपके घर में शीशे की एक आदर्श दिशा दक्षिण-पूर्व या पश्चिम-पूर्व होनी चाहिए। इससे सुबह का प्रकाश और सात्विक उर्जा शीशे में प्रवेश करती है और आपको मानसिक सुकून देती है। साथ ही, दक्षिण-पश्चिम दिशा शीशे के लिए अधिक आदर्श मानी जाती है क्योंकि यह प्रमुख उर्जा स्थान मानी जाती है और इससे आपको शांति, स्थिरता और सुख की अनुभूति हो सकती है।
वास्तु शास्त्र में भोजनकक्ष में आईने का प्रयोग शुभ मान्यता है। भोजनकक्ष एक स्थान होता है जहां परिवार और मित्रों के साथ मिलकर भोजन करते हैं और बातचीत करते हैं। बड़े आकार के आईने का उपयोग यहां पर दिशा और उर्जा के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।भोजनकक्ष में बड़े-से आईने और पश्चिम मुखी किचन के आदर्श दिशा में शीशा लगाना शुभ माना जाता है। इससे वास्तु से संबंधित लाभ मिल सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, टूटा हुआ शीशा आपके घर में अशुभता लाता है और नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। इसलिए, इसे रखने या उपयोग करने से बचना चाहिए। वहीं, ऐसे शीशे में चेहरा देखने से यह नकारात्मकता लाता है।
उत्तर दिशा वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसे धन, समृद्धि और आर्थिक प्रगति की दिशा माना जाता है। इस दिशा में शीशा लगाने की आम सलाह दी जाती है क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा आती है और घर में आर्थिक उन्नति और सुख-शांति की वृद्धि होती है।
पूर्व दिशा भी वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसे नवीनता, उत्थान और आदर्शता की दिशा माना जाता है। यहां शीशा लगाने से आपको सकारात्मकता, नए अवसरों का खुलना और नवीनता की भावना मिलती है।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Timesbull.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।