अगर आप गर्भवती हैं तो अपनी कुंडली अवश्य दिखाएं। इससे आपकी और बच्चे की सटीक जानकारी मिल जाएगी। दरअसल, जन्म कुंडली के तीसरे भाव (Ketu in third house) में बैठा केतु अगर शुभ स्थान पर हों, तो गुणी संतान की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख-शांति रहने की संभावना भी ज्यादा होती है। वहीं यदि केतु अशुभ स्थान पर बैठा होगा तो जातक केस-मुकदमा में फंस सकता है। कई बार जीवनसाथी से अलगाव का भी सामना करना पड़ सकता है।
तीसरे भाव में केतु के सकारात्मक प्रभाव
- कुंडली के तीसरे भाव का केतु अलग-अलग विद्या सीखने को प्रेरित करता है।
- ऐसा व्यक्ति साहसी, भाई-बहन व मित्र से प्रेम करने वाला और लेखन में निपुण होता है।
- जातक दृढ़ इच्छाशक्ति वाला होता है।
- ऐसा व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ, साहसी और उदार होता है।
- ऐसा व्यक्ति कुशाग्र बुद्धि वाला और सुखी-संपन्न होता है।
तीसरे भाव में केतु के नकारात्मक प्रभाव
- ऐसे व्यक्ति को कंधे या भुजाओं में दर्द या जकड़न की समस्या हो सकती है।
- यदि कुंडली के तीसरे भाव में केतु अशुभ स्थान पर बैठा हो तो जातक को मानसिक अशांति हो सकती है।
- जातक को जीवन में असफलता और निराशा का सामना करना पड़ सकता है।
तीसरे भाव में केतु हों, तो रहें सावधान
- तीसरे भाव में केतु हों, तो जातक को वाद-विवाद से बचना चाहिए। ज्यादातर मामलों में चुप रहना चाहिए, अन्यथा विवाद बढ़ सकता है।
- वाणी में संयम रखना चाहिए। मित्र से भी बिना विचारे ऐसी कोई बात नहीं बोलनी चाहिए, जिससे मित्र का नुकसान हो जाए।
- किसी को भी गलत सलाह देने से बचना चाहिए। झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि इससे उसकी प्रतिष्ठा पर आघात लग सकता है।
- अपने घर का प्रवेशद्वार दक्षिण दिशा में कभी नहीं रखना चाहिए।
- जातक को रीढ़ की हड्डी से संबंधित बीमारी हो सकती है, इसलिए बेवजह यात्रा करने और ज्यादा देर तक एक ही स्थिति में बैठना या सोना नहीं चाहिए।
- जातक को मांस-मछली सहित सभी तरह के मांसाहारी भोजन और शराब-सिगरेट आदि से दूर रहना चाहिए।