Bargad ke upay: वट सावित्री व्रत भारतीय संस्कृति में महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए रखती हैं। इस व्रत को ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं जिसे वट कहा जाता है। वे वट के पेड़ के चारों तरफ धागे बांधती हैं और इसे स्पष्ट करती हैं कि वे अपने पति के साथ हमेशा जुड़ी रहेंगी। उन्हें विधि विधान के साथ पूजन करना चाहिए जिसमें धूप, दीप, फल और पुष्प शामिल होते हैं। उन्हें वट पर तील का तेल और सिंदूर लगाना चाहिए।
आखिर क्यों होती है बरगद की पूजा?
वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि बरगद पेड़ हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पेड़ होता है। इस पेड़ को वट वृक्ष भी कहा जाता है और इसे शिवलिंग की तरह माना जाता है। इसलिए, इस व्रत में बरगद का पेड़ पूजनीय माना जाता है और सुहागिन महिलाएं इस पेड़ की पूजा करके अपने पति की लंबी आयु व विवाहित जीवन की कामना करती हैं।
क्या है वैज्ञानिक महत्व?
बरगद के पेड़ की पूजा का महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से विश्वसनीय होने के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मान्यता है। बरगद का पेड़ वैज्ञानिक रूप से बहुत ही उपयोगी होता है, जैसे कि इसकी छाया बहुत ठंडी होती है और यह ऑक्सीजन का एक बड़ा स्रोत होता है। इसके अलावा, बरगद के पेड़ की जड़ से एक प्रकार का गोंद होता है जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसी वजह से बरगद का पेड़ आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसकी जड़, तना, छाल और पत्तियों का उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है।
संतान सुख की होती है प्राप्ति:
बरगद के पेड़ की पौधा से संतान सुख की प्राप्ति होती है. यह मात्र न केवल पति के लिए है बल्कि इस व्रत को संतान अथार्त पुत्र की आयु के लिए रखा जाता है.
धन लाभ के लिए:
यह एक पौराणिक मान्यता है जिसमें बरगद के पेड़ का पत्ता शुक्रवार के दिन धन की समस्याओं से मुक्ति के लिए पूजा किया जाता है।