जो नहीं मानता चाणक्य नीति की इन बातों को, वो इंसान नहीं बल्कि घोड़ा है, जानिए इसके बारे में

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Shivam Jha

बूढ़ा होना किसी को पसंद नहीं। हर किसी की इच्छा होती है कि वो हमेशा जवान बना रहे। लेकिन वक्त का तकाजा ऐसा है कि आप चाहकर भी जवान नहीं बने रह सकतें हैं। हर किसी को एक ना एक दिन बूढ़ा होना ही पड़ता है।

 

अक्सर लोग अपनी ढलती उम्र छिपाना चाहते हैं। आज की जीवनशैली में युवा भी जल्द बूढ़े दिखने लगते हैं। जल्द बाल सफेद होना, शारीरिक तौर पर कमजोरी, आए दिए अस्वस्थ रहना आदि ये चीजे बुढ़ापे की श्रेणी में आती है।

 

चाणक्य ने बुढ़ापे को लेकर अपने विचार साझा किए हैं। उनके अनुसार चाणक्य ने बताया है कि आखिर क्यों मनुष्य की उम्र समय से पहले ही ढलने लगती है, किन कारणों की वजह से वह बूढ़ों की कैटेगरी में आ जाता है। साथ ही चाणक्य कहते हैं कि अगर जवानी को बरकरार रखना है तो किन बातों पर अमल करें।

 

अध्वा जरा मनुष्याणां वाजिनां बंधनं जरा ।

अमैथुनं जरा स्त्रीणां वस्त्राणामातपं जरा ।।

 

ढलती उम्र का कारण

 

 

चाणक्य ने इस बात का जिक्र अपने नीति शास्त्र के चौथे अध्याय के 17वें श्लोक के माध्यम से किया है। इसके अनुसार हर काम को करने का तरीका और नियम होते हैं। श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति हमेशा यात्रा पर रहते हैं। अपना क्षमता से अधिक चलते हैं उनकी उम्र जल्द ढलने लग जाती है, क्योंकि चाणक्य के अनुसार ऐसे व्यक्ति कि दिनचर्या व्यवस्थित नहीं होती. खान-पान, नींद समय पर नहीं हो पाता और शरीर पर इसका विपरीत असर पड़ता है।

 

घोड़े की शक्ति हो जाती है कमजोर

 

मनुष्यों के अलावा चाणक्य ने श्लोक में ये भी बताया है कि जिस घोड़े को ज्यादातर बांधकर रखा जाए वह जल्द बूढ़़ा हो जाता है। इसके अनुसार घोड़े का मूल काम भागते रहना है ऐसे में अगर घोड़े को बांधकर रख दिया जाए तो उसकी शक्ति कमज़ोर हो जाती है।

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