Agriculture: देश में ज्यादातर जगहों पर गेहूं की कटाई का काम या तो चल रहा है या पूरा हो चुका है। ऐसे में हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि कटाई के बाद गेहूं का सुरक्षित भंडारण कैसे किया जाए? ताकि इसकी गुणवत्ता प्रभावित न हो या घुन आदि कीटों का प्रकोप न हो। गेहूं को कोठी, कुठला, बुखारी, पूसा बिन, पंतनगर बिन, लुधियाना बिन, हापुड बिन, धूसी, खानिकी, लकड़ी के संदूकों जैसी पारंपरिक संरचनाओं में भंडारित किया जाता है। बोरे एवं भूमिगत भण्डार आदि।
अगर गेहूं का भण्डारण ठीक से न किया जाए तो उस पर कीड़े और रोग लग जाते हैं। कीटों की लगभग 50 प्रजातियाँ हैं जो भंडारित गेहूं पर हमला करती हैं, जिनमें से केवल लगभग आधा दर्जन प्रजातियाँ ही आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। लेकिन, इन सभी कीटों के प्रभावी प्रबंधन के उपाय एक ही हैं। इन उपायों को अपनाकर भंडारण के दौरान गेहूं को कीटों से बचाया जा सकता है।
गेहूं का भंडारण करते समय दानों में 10-12 प्रतिशत से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए, इसलिए भंडारण से पहले गेहूं को अच्छी तरह सुखा लेना चाहिए। इसके अलावा, गेहूं भंडारण से पहले शेड और कमरों को भी अच्छी तरह से साफ किया जाना चाहिए। यदि छत या दीवारों पर दरारें हैं तो उन्हें भरकर मरम्मत करें। गेहूं के दानों को कीट रोगों से बचाने के लिए मैलाथियान 50 प्रतिशत घोल का 3 लीटर प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से दीवारों एवं फर्श पर छिड़काव करें।
भंडारगृहों या कमरों में अनाज का भंडारण करने के बाद उनमें एल्युमिनियम फास्फाइड की 3 ग्राम प्रति टन की दर से दो गोलियां रखकर सील कर देना चाहिए। यदि भंडारगृह में चूहों की समस्या हो तो उनके बिलों के पास जिंक फास्फाइड की गोलियां या चूहे मारने वाली दवा रखकर प्रभावी प्रबंधन किया जा सकता है।
इसके अलावा जिन बोरियों में किसान गेहूं का भंडारण करना चाहते हैं, उन्हें 5 प्रतिशत नीम तेल के घोल से उपचारित किया जाना चाहिए। बोरियों को धूप में सुखाकर रखें। जिससे कीड़ों और अन्य बीमारियों आदि के अंडे और लार्वा नष्ट हो जाते हैं। जहां तक संभव हो किसानों को नये बोरे का ही उपयोग करना चाहिए। यदि किसान पुरानी बोरियों का उपयोग करते हैं तो उन्हें मैलाथियान और 100 भाग पानी के घोल में 10 से 15 मिनट तक भिगोकर छाया में सुखाकर उपयोग में लाया जा सकता है।