नई दिल्लीः भारत में मुगलों ने लंबे समय तक राज किया, जिन्होंने अपना सत्ता का सदुपयोग के साथ-साथ दुरुपयोग भी करने में कोई कमी नहीं की। मुगल साम्राज्य के 6 शासक हुए, जिनमें सबसे पहले बाबर था, जिसने भारत में इस वंश की नींव रखी थी। इस्लामी राजा बाबर अपनी कार्यशैली के लिए याद किया जाता है, जिसने अपने धर्म को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। धर्मांतरण और हिंदुओं के साथ कट्टरता में अपनी सत्ता का खूब इस्तेमाल किया। बाबर की सामाजिक जिंदगी से भी अलग व्यक्तिगत जीवन था। मुगल साम्राज्य के सभी शासकों को अय्याशी के लिए भी खूब याद जाता है, जिनमें बाबर भी कम नहीं था। बाबर का भी अपना हरम बना हुआ था, जिसकी विरासत को वारिसों ने आगे बढ़ाया।
बाबर ने हरम में सभी धर्मों की सुंदर-सुंदर नारियों को रखा, जो औरंगजेब तक प्रक्रिया चलती रही। बाबर की जिंदगी के अय्याशी भरे खूब किस्से सुनाए जाते हैं, लेकिन आप अगर किसी महिला से प्रेम करते हैं तो बात सही लगती है। अगर प्यार और मोहब्बत का जिक्र हो और इसमें किसी लड़के के साथ राजा का नाम जोड़ा जाए तो थोड़ा अजीब जरूर लगेगा, लेकिन यह सौ फीसदी सच है। कई किताबों के मुताबकि बाबर की अय्याशी महिलाओं के साथ-साथ एक लड़के से भी थी, जिससे वह बहुत घनिष्ठ प्रेम करता था। बादशाह लड़के के प्रेम में इतना पागल हो गया कि वह शेर-ओ-शायरी लिखने लगा। माना तो यह जाता है कि वह लड़का जिससे बाबर इतना मोहित था उसकी उम्र 17 साल रही होगी।
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- लड़के के प्रेम में बादशाह लिखने लगा शेर-ओ- शायरी
मुगल साम्राज्य की स्थापना करने वाला बादशाह बाबर लड़के से प्रेम में इतना पागल हो गया कि वह शेर ओ शायरी तक लिखने लगा। कुछ लोग मानते हैं कि लड़के की उम्र 17 साल से कम थी, लेकिन अधिक मानते हैं। बाबरनामा में ऐसे कई खुलासे किये गए हैं, जिसमें कहा जाता है कि बादशाह अपनी पत्नियों को लेकर सशंकित था और 8 अगस्त 1499 से लेकर 28 जुलाई 1500 ईस्वी के बीच में उक्त लड़के के साथ प्रेम संबंध चला था।
- बाबरनामा में हुआ बड़ा खुलासा
बाबरनाम में उसने लिका कि उस समय उर्दू बाजार में बाबरी नाम का एक लड़का हुआ करता था। हमनामी नाम का एक लगाव भी क्या लगाव निकाला। उससे एक अजीब सा लगाव बन गया, । उन खाली दिनों में मैंने एक अजीब से झुकाव महसूस किया। आगे लिखा गया कि उसके चक्कर में मैं पगाल सा हो गया।
इससे पहले मुझे किसी से इस प्रकार आकर्षण या प्यार नहीं हुआ था, लेकिन वो कई बार मेरी उपस्थिति में आया करता था। मैं शर्म की वजग से उसकी ओर देख भी नहीं पाता था। ऐसे स्थिति में मैं उससे कैसे बात कर पाता। आगे बाबरनाम में लिखा गया कि एक बार में कुछ साथियों के साथ उससे मिला। बाबर ने इन पलों को बहुत ही यादगार बताया, जिसे याद करते हुए एक शेर भी लिखा। शेर का अर्थ कुछ यूं होगा। उस परी चेहरे पर हुआ शैदा बल्कि अपनी खुदी भी खो बैठा। इसमें बाबर ने कहा कि इससे पहले मैंने दिल्लगी का नाम तक नहीं सुना था। फिर उसने लड़के की याद में फारसी में शेर तक लिखने शुरू कर दिये।