नई दिल्ली – किसी के भी अंतिम संस्कार में जाना बहुत मुश्किल होता है, अगर यह कोई आपका करीबी इंसान दुनिया से चले जाए तो उसे अंतिम विदाई देना बहुत कष्टप्रद होता है। ऐसे में किसी के भी अंतिम संस्कार में रंगीन कपड़े पहनकर जाने का रिवाज नहीं है। भारत में ज्यादातर अंतिम संस्कार के लिए सफेद कपड़ा पहनना चुना जाता है, जिसका अलग महत्व है और बॉलीवुड ने इसके ट्रेंड को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है। ऐसे में यही पर अगर देखें तो विदेशों में अंतिम संस्कार के दौरान काले कपड़े पहने जाते हैं। ऐतिहासिक घटनाओं को देखें तो इन रंगों की शुरुआत से ही मौत से जोड़ा गया है। किसी के मौत होने पर किस तरह के रंग का कपड़ा पहनना या फिर शोक मनाना यह सामाजिक मान्यता बन गई है। क्या आपको पता है कि विदेश में काला और हमारे देश में सफेद कपड़ा पहनने का रिवाज कैसे और कब बना है, आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से –
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विदेश में आखिर क्यों काले कपड़े पहन कर अंतिम संस्कार पर जाया जाता है। अगर अंतिम संस्कार की बात करें तो दुनिया के ज्यादातर देशों में काले कपड़े पहनने का रिवाज है। जरनल ऑफ़ इंटरनेशनल एसोसिएशन में इसको लेकर एक बात कही गई है कि रंग को नेगेटिविटी सोच से जोड़कर देखा जाता है। मौत का डर और दुख सभी कुछ इसमें शामिल है। इसे सदियों से ही अंधकार से जोड़ा गया है और दुनिया भर में ऐसे कई रीति रिवाज है जो काले रंग से जोड़ते हैं या फिर अंधकार से जोड़कर देखते हैं। काला रंग आत्मा के देह को छोड़ने से भी जोड़ा जाता है, इसलिए कहा जाता है कि अंतिम संस्कार के समय काला रंग पहनना चाहिए।
भारत में ही क्यों सफेद रंग पहना जाता है
विदेशों में अंतिम संस्कार में काला रंग पहना जाता है। वहीं भारत में अंतिम संस्कार के लिए सफेद रंग पहना जाता है। ऐतिहासिक घटनाओं की माने तो ज्यादातर सफेद रंग का वास्ता दुख मनाने का रंग समझा जाता था। इस रंग के साथ कोई भेदभाव नहीं है। अमीर या फिर कोई भी गरीब व्यक्ति और इस रंग को आसानी से खरीद सकता है। इसलिए ही इसे आम रंग माना जाता है, साथ ही सफेद रंग को हिंदू धर्म में पवित्रता का प्रतीक माना गया है और यह मासूमियत के लिए होता है। इसलिए अंतिम संस्कार के लिए सफेद रंग को ज्यादा बेहतर माना जाता है। यही कारण है कि एशियाई देशों में काला रंग का महत्व है और भारत में काला रंग का अलग महत्व है।