मुंबई: महाराष्ट्र में औरंगजेब (Aurangzeb) की कब्र को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है, बल्कि और तूल पकड़ता जा रहा. यह मामला हाल ही में फिल्म छावा से शुरू हुआ, जब कुछ संगठनों ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की. इस मुद्दे पर पूरे राज्य में माहौल गरमा गया. कई जगहों पर हिंसक घटनाएं भी हुईं. वहीं बीजेपी की तरफ से मांग की थी कि औरंगजेब की कब्र को उखाड़कर फेंक दिया जाए. इस बयान के बाद महाराष्ट्र का सियासी पारा और बढ़ गया.
आपराधिक मामले भी दर्ज किए गए
वहीं हिंसा के चलते कई आपराधिक मामले भी दर्ज किए गए. अब इस विवाद ने नया मोड़ ले लिया है. हालांकि शाह ने शनिवार को यानी 12 अप्रैल को रायगढ़ किले पहुंचे, जहां उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन करने के बाद, फिर जनता को संबोधित किया. वहीं इस बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “आज की भाजपा की मानसिकता उन आक्रमणकारियों जैसी है जिन्होंने हमारे महाराष्ट्र को लूटा था। बता दें कि औरंगजेब को समाधि देना छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान है।” ठाकरे ने आगे कहा कि “मुंबई, पुणे, संभाजीनगर की स्थिति देखिए।
मुगलों का शासन वापस आ गया
किसानों और महिलाओं की हालत देखिए। ऐसा लगता है जैसे मुगलों का शासन वापस आ गया है।” शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा, “3 महीने तक भाजपा औरंगजेब की कब्र खोदने की बात करती रही और अब उसे समाधि का दर्जा दे रही है। वहीं यह मराठा वीरों की विजयगाथा का अपमान है। बता दें कि राउत ने अमित शाह के बयान को सीधे तौर पर शिवाजी महाराज का अपमान बताया और कहा कि यह बयान महाराष्ट्र की अस्मिता पर हमला है। अब देखना यह है कि यह विवाद क्या मोड़ लेता है, लेकिन फिलहाल यह मुद्दा फिर से महाराष्ट्र की राजनीति में केंद्रीय हो गया है।
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