धोनी और मनोज तिवारी आईपीएल में भी एक टीम से खेल चुके हैं। दोनों राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स के लिए साथ खेले थे। मनोज ने अब रणजी से रिटायर होने के बाद धोनी को लेकर बड़ा बयान दिया है।
भारतीय क्रिकेट टीम की कैप हासिल करना देश के किसी भी खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ा सपना होता है। हालांकि, भारत की सीनियर टीम के लिए खेलना जितना कठिन है, टीम में जगह बनाए रखना भी उतना ही कठिन है। कई क्रिकेटरों ने ऐसा कर दिखाया और टीम में लंबे समय तक जगह बनाने में सफल रहे, लेकिन कुछ दुर्भाग्यपूर्ण क्रिकेटर ऐसे भी हैं।
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जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को साबित भी किया, लेकिन लंबे समय के लिए भारत की सीनियर टीम में नहीं खेल सके और उनका अंतरराष्ट्रीय करियर कुछ समय बाद खत्म हो गया। मनोज तिवारी भी उन्हीं क्रिकेटरों में से हैं, जिन्होंने लगभग दो दशकों तक बंगाल की सेवा की और भारत के लिए 12 वनडे और तीन टी20 मैच खेले। इस खिलाड़ी ने रविवार को रणजी ट्रॉफी में बंगाल के फाइनल मैच के एक दिन बाद संन्यास ले लिया।
2008 में मनोज ने अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया था
मनोज तिवारी ने 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे डेब्यू किया था। उन्होंने 11 दिसंबर, 2011 को चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला वनडे शतक बनाया। उन्हें उनके प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया। हालांकि, वह श्रीलंका के खिलाफ जुलाई 2012 में टीम का हिस्सा नहीं रहे और उन्हें प्लेइंग-11 से बाहर कर दिया गया। अब संन्यास के एक दिन बाद मनोज ने उन्हें टीम से बाहर करने और उनका करियर खत्म होने को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें अफसोस है कि वह टेस्ट कैप नहीं हासिल कर सके, जबकि उन्होंने वनडे और टी20 अंतरराष्ट्रीय में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
एक न्यूज चैनल से इंटरव्यू के दौरान मनोज ने कहा- जब मैंने 65 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे, तब मेरा बल्लेबाजी औसत 65 के आसपास था। तब ऑस्ट्रेलिया टीम ने भारत का दौरा किया था, और मैंने चेन्नई में एक दोस्ताना मैच में 130 रन बनाए थे। फिर मैंने इंग्लैंड के खिलाफ एक दोस्ताना मैच में 93 रन बनाए थे।
मैं टेस्ट कैप हासिल करने के काफी करीब था, लेकिन उन्होंने मेरी जगह युवराज सिंह को चुना। इसलिए टेस्ट कैप नहीं मिल सकी। इतना ही नहीं वनडे में शतक बनाने के लिए प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिलने के बाद मुझे नजरअंदाज कर दिया गया था। मुझे लगातार 14 मैचों तक नजरअंदाज किया गया। जब आत्मविश्वास अपने चरम पर होता है और कोई उसे नष्ट कर देता है, तो वह खिलाड़ी खत्म हो जाता है। किसी भी पेशे में एक खिलाड़ी के लिए आत्मविश्वास ही सब कुछ होता है