Women’s Rights: महिलाएं जिन्हें शक्ति का रूप भी कहा जाता है, जिनके अंदर पुरुषों से भी ज्यादा सहन शक्ति होती है। वहीं सरकार ने इन्हें 11 प्रकार के अधिकार दिए हुए हैं।लैंगिक सामान्यता हो या नौकरी उन्हें पुरुषों के बराबर की हिस्सेदारी मिल रही है । भारत में लैंगिक सामान्यता के आधार पर महिलाओं को मिले 11 अधिकार मिले हैं। तो आईये जानते हैं कि ये अधिकार कौन-कौन से हैं।
समान मेहनताना का अधिकार
कोई भी महिला जो कहीं काम करती हो सैलरी देने के टाइम उसे उतना ही अधिकार है, जितना एक पुरुष का होता है। सैलरी में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए यह सोचकर की वह एक महिला है।
गरिमा और शालीनता का अधिकार
महिला को हमेशा गरिमा व शालीनता के साथ रहना चाहिए। वहीं अगर किसी जीवन में महिला की भागीदारी होती है और उसको मेडिकल परीक्षण के लिए हॉस्पिटल ले जाया जाता है। तो उसका मेडिकल परीक्षण किसी दूसरी महिला की मौजूदगी में ही कराना चाहिए ताकि उसकी गरिमा को कोई ठेस ना पहुंचे।
दफ्तर और काम स्थल में उत्पीड़न से सुरक्षा का अधिकार
आए दिन महिला के साथ उत्पीड़न की शिकायतें सुनने को मिल रही है।वहीं भारतीय कानून के द्वारा महिला को अगर दफ्तर या किसी काम स्थल में शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न से जूझना पड़ता है। तो उन्हे शिकायत दर्ज करवाने की पूरी अनुमति और अधिकार है। महिला 3 महीने की अवधि के भीतर ब्रांच ऑफिस में इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) को लिखित शिकायत दे सकती है।
घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार
कोई भी महिला अगर घरेलू हिंसा का शिकार हो रही है या उनके साथ दुर्व्यवहार यौन हिंसा और शारीरिक हिंसा हो रही है। तो उन्हें आवाज उठाने का पूरा अधिकार है। भारतीय कानून धारा 498 के तहत घरेलू हिंसा करने पर आरोपी को 3 साल की कारावास की सजा या जुर्माना भरना पड़ सकता है।
पहचान जाहिर नहीं करने का अधिकार
किसी महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार हमारे कानून में दर्ज है। अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है, तो वह अकेले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करा सकती है। किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में बयान दे सकती है।
मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार
महिलाओं के ऊपर आए दिन कई प्रकार के दिन होते रहते हैं, वही लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट के मुताबिक बलात्कार की शिकार महिला को मुफ्त कानूनी सलाह पाने का अधिकार है। लीगल सर्विस अथॉरिटी की तरफ से किसी महिला का इंतजाम किया जाता है।
रात में महिला को न गिरफ्तार करने का अधिकार
अगर कोई भी महिला जिसने जुल्म किया है या उसमें उसको आरोपी माना गया है और पूछताछ के लिए ही सही उसको गिरफ्तार करने जा रहे हैं। तो एक महिला कॉन्स्टेबल का होना जरूरी ही है। वहीं उसे सूर्य उदय से पहले और सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
जीरो एफआईआर का अधिकार
अगर महिला के साथ कहीं भी जुल्म हुआ है तो वह किसी भी जगह किसी भी शहर शहर के थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा सकती है। उसके लिए क्या नियम बिल्कुल लागू नहीं होता है कि वह उसी घटनास्थल के नजदीकी थाना में अपनी रिपोर्ट लिखवाए।
महिलाओं का पीछा ना करने का अधिकार
किसी भी महिला के मना करने के बावजूद उसका पीछा करना या फिर लगातार उसकी जानकारी लेना यह सख्त कानून के खिलाफ है।वहीं इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन के द्वारा यानी इंटरनेट ईमेल सोशल नेटवर्किंग से उसे परेशान करना ही कानून के खिलाफ है। ऐसा करने पे आईपीसी की धारा 354D के तहत वैसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
अशोभनीय भाषा का उपयोग नहीं कर सकते
किसी भी महिला को अशोभनीय बातें बोलना या महिला के शरीर वेशभूषा के बारे में ऐसी बातें बोलना जो काफी अशोभनीय हो ऐसा करना एक दंडनीय अपराध है।
वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार
अगर महिला के साथ कुछ गलत घट रहा है, तो आप वर्चुअल शिकायत दर्ज करा सकती है जैसा कि वह सोशल मीडिया के जरिए या फिर थाने में डायरेक्ट चिट्ठी भेजकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। इसके बाद थाने से कॉन्स्टेबल पुलिस उसके घर आएगी और उसका बयान लेगी।