नई दिल्ली: राजस्थान विधानसभा चुनाव की 199 सीटों पर पुख्ता इंतजाम के बीच वोटिंग हो गई। मतदान के दौरान कुछ जगह छिटपुट झड़प जरूर हुई, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी ने शांति में खलल पैदा नहीं होने दी। राज्य में कुछ पोलिंग बूथ को छोड़कर सभी जगह शांति पूर्वक मतदान हुआ।
इस बार राजस्थान में 74.96 फीसदी वोट डाले गए। राज्य में करीब 74.13 फीसदी वोटिंग हुई, जबिक .83 प्रतिशत वोट मतपत्र और घरेलू तरीके से डाले गए। साल 2018 विधानसभा चुनाव की बात करें तो 74.04 फीसदी मतदान हुआ था।
पहले के मुताबिक इस बार चुनाव में 0.9 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ है। वोटिंग बढ़ने के बाद अब नई चर्चा राज्य में शुरू हो गई है। वसे तो सभी नेता अपने-अपने चहेतों के पक्ष में समीकरण फिट करने में लगे हैं, लेकिन आखिरी रिजल्ट 3 दिसंबर को जारी होना है। वैसे राजस्थान एक ऐसा राज्य हैं जहां हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन होती है। यह परिपाटी 32 साल से चली आ रही है।
क्या कहता है वोटिंग ट्रेंड
राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार वोटिंग पहले से बढ़ी तो कई तरह की चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। राजस्थान में लंबे समय से हर पांच सेल में सरकार बदलने की रवायत चलती आ रही है। साथ ही बीते 20 साल का वोटिंग ट्रेंड भी यह गवाही देता है।
जब-जब मतदान प्रतिशत घटा है तो उसका सीधा लाभ कांग्रेस को मिलता रहा है। मतदान प्रतिशत बढ़ने का लाभ बीजेपी को देखने को मिलता रहा है। इस बार चुनाव में पहले से 5.25 करोड़ वोटर्स थे, जिन्होंने 1863 उम्मीदवारों की किस्मत का बटन दबाया है। अब नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे, जिससे पहले सभी के अपने-अपने दांवे हैं। सवाल यही है कि क्या गहलोत सरकार दोबारा सत्ता में आकर राजस्थान की परंपरा को खत्म कर पाएगी।
जानिए कितनी सीटों पर हुआ मतदान
राजस्थान विधानसभा चुनाव में 200 में से 199 सीटों पर वोट डाले गए। इससे पहले साल 2013 में भी 199 सीटों पर वोटिंग हुई थी। इस बार चुनाव के बीच श्रीगंगानगर जिले की करणपुर सीट से उम्मीदवार गुरमीत कूनर का निधन हो गया था।
ऐसे में चुनाव आयोग ने करणपुर सीट का चुनाव स्थगित कर दिया था। अब माना जा रहा है कि यहां उपचुनाव कराया जाएगा। इतना ही नहीं गुरमीत सिंह वर्तमान में करणपुर सीट से मौजूदा विधायक भी थे। उन्होंने साल 2018 में निर्दलीय चुनाव जीता और गहलोत सरकार में मंत्री बने थे।