नई दिल्ली- मारवाड़ की सबसे अहम जोधपुर विधानसभा सीट चुनावी लिहाज से बेहद है। क्योंकि इस सीट को जोधपुर जिले में आने वाले 10 विधानसभा सीटों का किंग कहा जाता है। इस सीट पर आ रहा है। हालांकि पिछले कुछ वक्त में ओबीसी उम्मीदवारों चुनौती पेश की है।
मारवाड़ की सबसे अहम जोधपुर विधानसभा सीट चुनावी जिले में आने वाली 10 विधानसभा सीटों का कहा जाता है। इस सीट पर स्वर्ण का दबदबा रहा है हालांकि पिछले कुछ वक्त में ओबीसी उम्मीदवारों ने चुनौती पेश की है। लिहाजा ऐसे में 2023 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जबरदस्त घमासान देखने को मिल सकता है। किस डेट को भाजपा का गढ़ भी कहा जाता है। क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के गढ़ को ध्वस्त करते हुए कब्जा किया था।
जोधपुर विधानसभा सीट पर घाटी रावणा राजपूत राजपूत ब्राह्मण पुष्कर मुस्लिम कोतवाल और जैन समाज का खास तदबा है हालांकि इस सीट पर लंबे वक्त तक ब्राह्मण और जैन समाज के दबदबा रहा है। लेकिन 2018 में पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों की जीत के बाद यहां के समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव में होता है। पिया देखना दिलचस्प होता रहता है।
इस सीट से चुनाव लड़ने वाले 2 सदस्य मुख्यमंत्री भी रहे इनमें पहला नाम जय नारायण व्यास का आता है। हालांकि जनरल व्यास को पहले ही चुनाव में हनुमंत सिंह की करारी शिकस्त मिली वहीं गांव में तीन बार चुनाव जीतने वाले बदलू खान भी मुख्यमंत्री बने व्रत उल्ला खान को राजस्थान का पहला शंकर मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ था।
2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही आमने सामने नजर आ रहे हैं। मोदी लहर पर सवार बीजेपी के कैलाश चंद फिर से टिकट मांग रहे हैं तो कांग्रेस की रणनीति बदलते हुए। दलते हुए अब अब अब इस बार तो बनकर साबित हुई और कैलाश बांसुरी की जीत मिली है।
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से एक बार फिर से अपने रणनीति बदलने को मजबूर थी कांग्रेस ने इस बार एक महिला चेहरा पर दांव खेलने की रणनीति बनाई है और मनीषा पवार को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि बीजेपी की ओर से अतुल संभाली चुनावी मैदान में से इस चुनाव में आखिरकार कांग्रेस का गीत साल का स्तूप मिटा और मनीषा पवार की जीत हुई जबकि अतुल बांसुरी को हार का सामना करना पड़ा।