नई दिल्ली- एक ऐसी तारीख जिसको आज से ठीक 74 साल पहले याद किया जाता है। यानी की 18 सितंबर 1949 में देश में पहली बहस संविधान में हुई थी। वो बहस जो हो रही थी वह देश के नाम की बहस हो रही थी। और आज क्या बहस होने वाली इस पर सबके नजरे बनी हुई। आज आशंका है की देश के नाम क्या बड़ी चर्चा हो सकती है। यानी की भारत या इंडिया इस पर बड़ी चर्चा हो सकती है।
जरा सोचिए एक वह तारीख जब संविधान सभा में देश के नाम पर बहस हो रही थी। और आज देश का नाम क्या हो इस पर बहस होने की संभावना है। इससे क्या अंदाजा लगाया जा सकता है कि 74 साल बाद एक बार फिर से इतिहास दोहराया जाएगा। क्या आज से 74 साल पहले जो कुछ नहीं हो पाया वह आज होगा। क्या संविधान सभा में बहस का बड़ा मुद्दा देश के नाम को लेकर होगा।
बता दे की जब 74 साल पहले देश के नाम पर बहस हो रही थी उसे समय कुछ ऐसे सदस्य वहां पर मौजूद थे। जिन्होंने खुले खुले शब्दों में कहा था। कि देश का नाम एक होना चाहिए और अब एक बार फिर ऐसी बहस पूरे देश में शुरू हो चुकी जब दुनिया के किसी और देश के दो नाम नहीं है।तो फिर हमारे देश के दो नाम आखिरकार क्यों है।
जानकारी के अनुसार हम आपको बता दें कि बहुत ही सोच समझकर एक ऐसी तारीख रखी गई। जिसके 74 साल पहले इस दिन देश के नाम को लेकर कड़ी बारे हुई थी। जानकारों का मानना है। कि यह मात्र सहयोग नहीं हो सकता कि एक विशेष तारीख में संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है।
74 साल पहले ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाक के प कामत ने देश का नाम बदलकर भारतवर्ष करने का संशोधन प्रस्ताव सदन में पेश किया था। लेकिन इस प्रस्ताव के विरोध में लगभग 51 जबकि पक्ष में 38 वोट पड़े थे।जिसकी वजह से यह प्रस्ताव खारिज हो गया था।