नई दिल्ली- बिहार के छपरा की मेयर राखी गुप्ता के चुनावी हलफनामे को चुनौती देते हुए राज्य चुनाव आयोग में केस दर्ज कराया गया था। जांच के दौरान आयोग ने उन्हें मेयर पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया अब राखी ने हाईकोर्ट का रुख किया है।
बिहार की राखी गुप्ता सुर्खियों में है वह छपरा नगर निगम की मेयर थी लेकिन तीन बच्चों की मां होने की वजह से उनकी कुर्सी चली गई दरअसल उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में दो बच्चों का ही जिक्र किया था और एक को छुपा लिया था। उनके हलफनामे को चुनौती देते हुए चुनाव आयोग में केस दर्ज कराया गया जिसकी जांच के बाद आयोग ने उन्हें मेयर पद के लिए आयोग घोषित कर दिया है। तो आइए जानते हैं पूरा मामला और वह नियम जिसकी वजह से गई राखी गुप्ता की कुर्शी।
बता दे कि दिसंबर 2022 में राखी ने छपरा नगर निगम से मेयर का चुनाव जीता था इस दौरान उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में दो बच्चों का ही जिक्र किया था। जबकि छपरा रजिस्ट्री ऑफिस से मिले कागजात के अनुसार उनके तीन बच्चे ने दिया राखी ने अपने तीसरे नंबर की संतान का जिक्र नहीं किया है। ऐसे में बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 के मुताबिक राखी को आयोग करार कर दिया गया है।
हालांकि राखी का कहना है कि उन्होंने अपने तीसरे बच्चे को ही निसंतान रिश्तेदार को लिखित रूप से गोद दे दिया था ऐसे में कानूनी रूप से उनके दो ही बच्चे हैं। लेकिन राज्य चुनाव आयोग के नए नियम का हवाला देते हुए राखी की मेयर पद की सदस्यता रद्द कर दी है।
दरअसल बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 18 के मुताबिक अगर किसी नागरिक को 4 अप्रैल 2008 के बाद तीसरी संतान हुई तो वह नगर पालिका निर्वाचन में चुनाव नहीं लड़ सकता है। इस अधिनियम में ही यह भी स्पष्ट किया गया था कि दो से अधिक संतान वाले लोग अगर किसी को बच्चा को दे देते हैं।तब भी वह उसे माता पिता के तौर पर माने जायेंगे।
मतलब बच्चे को गोद देने के बाद भी वह चुनाव लड़ने के लिए आयोग ही रहेंगे अगर एक ही बार में जुड़वा या इससे ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं। तो नियम में बदलाव होगा।