नई दिल्ली। 15 अप्रैल को हुई बारिश के बाद UAE, सऊदी अरब, बहरीन और ओमान में हालात बहुत ही ज्यादा खराब होते हुए नजर आ रहे हैं। यूएई और आसपास के रेगिस्तानी इलाकों में बीते दिनों बहुत ही भयंकर बारिश हुई थी। एक दिन में हुई बारिश ने पिछले 75 साल का पूरा रिकॉर्ड तोड़ दिया।
दुबई में इस समय हर जगह सिर्फ पानी ही नजर आ रहा था। दुबई के लोगों की हालात बहुत ही ज्यादा खराब नजर आ रही है। हालात इतने खराब हो गए कि दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट को ही बंद कर दिया गया है। इसके अलावा शॉपिंग मॉल और मेट्रो स्टेशंस में पानी भर गया।
सड़कों पर गाड़ी पानी में डूब गए हैं। इस बारिश के बाद क्लाउड सीडिंग की चर्चा शुरू हो गई। कई लोगों को आश्चर्य हुआ कि क्या यह क्लाउड सीडिंग थी जिसके कारण दुबई में बाढ़ आई, लेकिन भारत में ऐसी परियोजनाओं में शामिल वैज्ञानिकों ने स्पष्ट रूप से किसी भी लिंक को खारिज कर दिया।
चुकी सूखे से जूझ रहा संयुक्त अरब अमीरात अपने घटते भूजल के स्तर को बढ़ाने के लिए समय-समय पर क्लाउड सीडिंग करता रहता है, इसलिए सोमवार रात से मंगलवार शाम के बीच हुई भारी बारिश ने कृत्रिम बारिश तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
देश में 24 घंटे से भी कम समय में रिकॉर्ड 255 मिमी बारिश दर्ज की है, जिससे दुबई में बाढ़ आ गई। हालांकि पड़ोसी देश कतर, ओमान, बहरीन और सऊदी अरब में भी भारी बारिश हुई, लेकिन यूएई के दुबई में इसका सबसे ज्यादा बुरा असर देखने को मिला है।
भारत में क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट से जुड़े आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर सच्चिदा नंद त्रिपाठी कहा कहना है कि क्लाउड सीडिंग और दुबई में बाढ़ के बीच कोई संबंध नहीं है। “तूफान के विकास के प्रारंभिक चरण में बीज बोने की कोशिश की जाती है। इस मामले में जब सिस्टम ओमान की खाड़ी से आगे बढ़ा तो यह पहले से ही तीव्र तूफान था।
पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने भी खारिज कर दिया और कहा कि क्लाउड सीडिंग से इतनी भारी बारिश और बाढ़ नहीं आ सकती। संभावित कारणों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है। यह एक बहुत बड़ा तूफ़ान था जो एक सिनोप्टिक सिस्टम के कारण हुआ था जो खाड़ी क्षेत्र में घूम रहा था। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अब यह प्रवृत्ति बन गई है कि अगर बारिश होती है तो बहुत भारी बारिश होती है।
क्या होता है क्लाउड सीडिंग?
जिन भी इलाकों में प्राकृतिक रूप से बारिश नहीं होती है या फिर जरुरत के हिसाब से उस जगह पर कम वर्षा होती है ऐसी परिस्थिति में वहां कृत्रिम बारिश कराई जाती है. कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग तकनीक का को यूज़ में लिया जाता है।
यह प्रक्रिया बादलों को बारिश के लिए तैयार करती है.इसके लिए हेलिकॉप्टर उड़ाए जाते हैं जो बादलों में सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड और ड्राई आइस जैसे रसायन पहुंचाते हैं। ऐसा करने से बादल घिर जाता है और बादलों की भाप ठंडी होकर बंदूों के रूप में गिरनी शुरू हो जाती है और बारिश होनी शुरू हो जाती है।