नई दिल्ली : दुनिया में कभी भी कुछ भी हो जाता हैं। दुनिया के लोग कुछ अलग करने के चक्कर में बहुत ही अजीब चीज कर जाते हैं। इसी बारे में हम आज बात करने वाले हैं। ‘कार्प कैलेंडर’ के बारे में बात करने वाले हैं। कुछ लोग दुनिया में इसे ‘कामुक कार्प कैलेंडर’ के नाम से भी जानते हैं। इसके तहत कैलेंडर में 12 महिलाओं को साल के हर महीने में कार्प के साथ पोज़ देना पड़ता हैं। ये महिलाए और मॉडल मछलियों के साथ फोटो खिंचवाती हैं।
लेकिन आपको बता दें कि अब इस कैलेंडर पर एक बड़ा विवाद हो चुका हैं। इस मामले में एक पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने पूछा है कि इन तस्वीरों में दिख रहीं मछलियों का बाद में क्या होता हैं। वो जिन्दा हैं या मर चुकी हैं।
ये होता है ‘कार्प कैलेंडर’
बता दें कि इसकी शुरुआत वर्ष 2014 से हुई हैं। यह काफी हिट हो रहा हैं। इसकी कीमत कुल 16 पाउंड बताई जाती हैं। यह कैलेंडर जर्मनी का है और इसका मकसद मछुआरों को उत्साहित करना है। यह हालिया लेक फिशबिल, ब्रिटनी, फ्रांस में शूट हुआ है। अब इस मामले में Carponizer के संस्थापक ने सभी विवाद को ख़त्म कर दिया हैं। उन्होंने सभी को समझाया कि वर्ष 2014 में पहली बार रिलीज़ किये गए इस कैलेंडर के लिए मछलिया नहीं ,मारी जाती हैं। शूट के बाद उन्हें पानी में छोड़ दिया जाता हैं। पर्यावरण समूह PETA ने इस पर एक तर्क दिया है। वह इससे काफी नाराज़ हैं। इसकी अध्यक्ष ने कहा “जिसने भी इस कैलेंडर को बनाया है, वह ठीक नहीं हैं। ” उन्होंने कहा इसमें शामिल जानवरों को गंभीर – या यहां तक कि घातक – नुकसान पहुंचाए बिना इन तस्वीरों को लेना संभव नहीं है। अब इस मुद्दे पर कई पशु प्रेमी इस कैलेंडर के खिलाफ आ चुके हैं। वह इंटरनेट पर गुस्सा दिखा रहे हैं।