नई दिल्ली Cash Deposits: आरबीआई ने पिछली चार MPC से रेपो रेट में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है। यानि कि इस समय रेपो रेट उसी तरह से स्थिर हैं। लेकिन कर्ज पर ब्याज दरों अब भी मैक्जिमम स्थिति बरकरा है। इसमें ब्याज दरों के बढ़ने का ही असर है कि सेविंग खाते में पैसा रखने की बजाय एफडी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। उद्योग मंडल फिक्की और भारतीय बैंक संघ की तरफ से जारी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक एफडी बढ़ने से करंट और सेविंग खाते में जमा होने वाला पैसों में कमी आई है। आपको बैंक की तरफ से जुटाएं जाने वाले पैसे में करंट और सेविंग खाते में जमा राशि कमा लागत वाला पैसा होती है। इन खातों में ज्यादा पैसा जमा होने का अर्थ है बैंकों के लिए बेहतरीन मार्जिन है।
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FD के अनुपात में आई तेजी
वहीं फिक्की IBA के 17वें दौर के सर्वे के मुताबिक, ज्यादा ब्याज दरों को देखते हुए लोगों की रूचि एफडी की तरफ ज्यादा हो गई है। इस सर्वे के मौजूदा समय में आधे से ज्य्दा प्रतिभागी बैंकों ने कुल जमा में चालू और बचत खाते की जमा की हिस्सेदारी में कमी दर्ज की है। दूसरी तरफ एफडी में काफी तेजी भी आई है।
NPA में होने वाली कमी को दर्ज किया गया
वहीं सर्वे में ये पाया गया है कि इस संपत्ति की गुणवत्ता के बारे में 75 फीसदी बैंकों ने बीते 6 महीनों में अपने NPA में गिरावट दर्ज की है। जबकि पिछले चरण में 90 फीसदी बैंकों ने ऐसा बताया था। इसमें कहा गया है कि पब्लिक सेक्टर में 90 फीसदी बैंकों ने NPA में कमी को हवाला दिया गया है। वहीं प्राइवेट सेक्टर के 80 फीसदी बैकों ने NPA में गिरावट की बात कही है। सर्वे के मुताबिक, मौजूदा चरण में करीब 54 फीसदी बैकों को लगता है कि ग्रॉस NPA अगले 6 महीनों में 3 से 4 फीसदी के स्तर पर आ जाएगा।
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लंबं टर्म के लोन में इजाफे के संकेत
सर्वे से ये भी सामने आया कि इंफ्रा में लोन प्रवाह में तेजी देखी जा रही है। सर्वे में 67 फीसदी ने लॉन्ग टर्म के लोन में इजाफे में संकेत दिए हैं। जबकि पिछले दौर में ये आंंकड़ा 57 फीसदी था। सर्वे के मुताबिक, अगले 6 महीनों में गैर-खाद्य उद्योग क्षेत्र कर्ज में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इस सर्वे में शामिल करीब 42 फीसदी प्रतिभोगियों को उम्मीद है कि गैर खाद्य उद्योग में लोन में बढ़ोतरी 12 फीसदी से ज्यादा होगी। जबकि बीते दौर में 36 फीसदी ने ये संभावना दिखी थी।